बड़ी फिल्मों को कम बजट में बनाने पर बात करते हुए, विधु विनोद चोपड़ा ने कहा कि उनकी बहुत ज्यादा जरूरतें नहीं है। जब एक फिल्म निर्माता एक निश्चित बजट से बढ़कर अपनी फिल्मों में निवेश करता है, तो वह धीरे-धीरे खुद को सीमित करने लगता है और अपनी स्वतंत्रता को खो देता है। ‘शिकाराÓ फिल्म मुझे कश्मीर दर्शाना था, तो उसे बनाने में 3 इडियट्स जितना पैसा लग गया। क्योंकि मैं हर एक दृश्य को रीयल बनाने में जुडा था। उन्होंने कहा कि एक ही थीम पर फिल्म क्यों बनाई जाए। बचपन में पापा को जब मैंने कहा था कि मुझे डायरेक्टर बनना है तो उन्होंने तू कहां मुम्बई जाकर फिल्में बनाएगा। फिर उन्होंने जो काम करो चाहे मोची बनो, लेकिन सबसे अच्छा मोची बनके दिखाओ। मैं अब भी यही मानता हूं इसलिए एक जगह रुकने की बजाए अपने काम को बेहतरीन बनाने पर ध्यान देता हूं।
उन्होंने कहा कि मैं हमेशा तीन बातें को दिमाग में रखता हूं, फिल्म में एंटरटेनमेंट होना चाहिए, कहानी की आत्मा बनी रहनी चाहिए और फिल्म बनाते वक्त यह ध्यान रखों की यह खुद की आखिरी फिल्म है। ऐसे में क्रिएशन कमाल का निकलकर आता है।
चोपड़ा को हमेशा शिक्षक के रूप में देख