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जब प्रकाश झा ने थप्पड़ लगाकर कहा था, क्या ऐसे बोलते हैं डायलॉग

मंडे मोटिवेशन, जयपुर बेस्ड एक्टर जगत सिंह सोलंकी ने पत्रिका प्लस के साथ शेयर की अपनी मोटिवेशनल जर्नी
 

Jun 17, 2019 / 05:39 pm

Anurag Trivedi

jagat singh

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जयपुर। ‘जय गंगाजल’, ‘लिपस्टिक अंडर द बुर्का’, ‘चक्रव्यू’ और ‘वज्र’ जैसी मूवी में एक्टिंग का हुनर दिखाने वाले जगत सिंह सोलंकी आलोचनाओं को अपनी सफलताओं का सबसे बड़ा मोटिवेशन मानते हैं। वे कहते हैं जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आए, जब मुझे लगा कि ‘क्या मैं सही रास्ते पर तो हूं?’ लेकिन अपने रास्ते से मैं कभी पीछे नहीं मुड़ा। मंडे मोटिवेशन सीरीज के तहत जगत ने पत्रिका प्लस के साथ शेयर की अपनी मोटिवेशन जर्नी-
जगत बताते हैं ‘मेरी परवरिश जयपुर में हुई है। पापा ‘श्याम सिंह सोलंकी’ की सरकारी नौकरी थी, उन्होंने मुझे एक अच्छे स्कूल में पढ़ाया। वे चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं, लेकिन मेरी मंजिल कुछ ओर ही थी, जिसका मुझे भी पता नहीं था। मैं महाराजा कॉलेज में बीएससी कर रहा था, एक दिन कॉलेज जाते समय किसी ने मुझसे रवीन्द्र मंच तक की लिफ्ट मांगी। उन्होंने बताया कि वे थिएटर से जुड़े हैं, फिर मैं उनके सम्पर्क में आया और थिएटर से जुड़ गया। तब मुझे अहसास हुआ कि मैं एक्टिंग के लिए बना हूं।
जयपुर से शुरू हुआ एक्टिंग का सिलसिला

आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैं मुम्बई जाने की नहीं सोच सकता था। ऐसे में मैंने जयपुर में ही काम ढूंढना शुरू किया। जयपुर में ही सीरियल ‘हंसगुल्ले’ का ऑडिशन दिया। वो मेरा पहला अनुभव था। इसके बाद जयपुर में ही ‘चक्कर पर चक्कर’ शो में काम किया। खुद के खर्चे के लिए मैं जिम से जुड़ा और टै्रनिंग देनी शुरु कर दी। जिम के जरिए मेरा भानू जी से मिलना हुआ, जो फिल्म ‘खूब मिलाई जोड़ी’ बना रहे थे। उन्होंने मुझे मौका दिया और मैं सात दिन के लिए मुम्बई चला गया। २००१ में ये फिल्म बन रही थी। फिल्म की शूटिंग के दौरान पास ही एक अन्य फिल्म ‘वज्र’ के ऑडिशन चल रहे थे।
नेपोटिज्म का शिकार होने से बचा
मैंने वज्र का ऑडिशन दिया। बाद मैं मुझे पता चला कि मेरा सलेक्शन नहीं हुआ है, फिर मैंने प्रोड्यूसर को शूटिंग शुरु होने की बधाई देने के लिए फोन किया तो, पता चला कि प्रोड्यूसर मुझे ढूंढ रहे हैं, उन्होंने कहा कि डायरेक्टर अपने बेटे को लेना चाहते थे। उस समय मुझे बॉलीवुड में नेपोटिज्म की जड़ों का अनुभव हुआ। हालांकि मुझे फिल्म मिली और मैंने लीड रोल प्ले किया। इस तरह से मुंबई में काम शुरू हो गया। २००४ से २००६ तक मैंने तीन फिल्में की और कोई भी हिट नहीं हुई। उस समय मुझे लगा कि मुम्बई से मेरा सफर खत्म हो गया है।
प्रकाश झा ने मारा थप्पड़

फिल्में फ्लाप होने के बाद मैं जयपुर नहीं आ सकता था और मेरे पास जिम का एक्सपीरियंस था। मैंने मुंबई में जिम में जॉब की, जहां पर शाहीद क पूर, सोनू सूद और विवेक ओबेरॉय जैसे बड़े स्टार्स ट्रैनिंग के लिए आते थे। कनेक्शन बनने के बाद मैं नेहा धूपिया का पर्सनल ट्रैनर भी बना और बाद में विभिन्न कॉरपोरेट्स भी जुड़ा। इस दौरान फिल्म निर्माता प्रकाश झा की बेटी दिशा की ट्रैनिंग का मौका मिला। मैं रोज प्रकाश झा के घर जाया करता था। उस समय वे राजनीति फिल्म में बिजी थे। पहचान के कारण उन्होंने मुझे राजनीति में एक छोटा रोल देने की बात कहीं, फिर जैसे ही मैंने शूटिंग के दौरान डायलॉग बोलना शुरू किया, तो उन्होंने कट कहते हुए मेरे थप्पड़ मार दिया और कहा क्या ऐसे बोलते हैं डायलॉग? उस दिन मुझे लगा कि क्या मैं वाकई एक्टिंग कर सकता हूं?
खुद पर काम किया
प्रकाश सर से थप्पड़ खाने के बाद मैं जयपुर नहीं आया, बल्कि खुद की एक्टिंग पर काम किया और फिर एक साल बाद सर के पास गया। उन्होंने मुझे लिपस्टिक अंडर द बुर्खा के लिए रिकमंड किया। फिल्म में मेरा काम सभी को पसंद आया और मुझे एक नई पहचान मिली। फिलहाल मैं एक फिल्म डायरेक्ट कर रहा हूं, जिसमें ११ गाने हैं और सभी गाने नामी म्यूजिक डायरेक्टर्स के हैं। फिल्म को लिखा भी मैंने ही है, सबसे बड़ी बात यह है कि फिल्म में प्रकाश सर खुद एक्टिंग कर रहे हैं।

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