अमरनाथ यात्रा शुरु, बाबा के जयकारों के साथ श्रृद्धालुओं का पहला जत्था रवाना

Tanvi Sharma | Publish: Jun, 27 2018 01:37:31 PM (IST) तीर्थ यात्रा
अमरनाथ यात्रा शुरु, बाबा के जयकारों के साथ श्रृद्धालुओं का पहला जत्था रवाना
बुधवार की सुबह से अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है। अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था भगवती नगर आधार शिविर से रवाना हो चुका है। यात्रा का समापन श्रावण पूर्णिमा को यानि रक्षाबंधन के दिन होगी। जम्मू-कश्मीर की दुर्गम वादियों में स्थित अमरनाथ धाम हिन्दूओं की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। अमरनाथ यात्रा हिंदूओं के लिए काफी महत्व रखता है। चार धाम की तरह भक्तगण इस पूजनीय यात्रा को जीवन में एक बार करने की इच्छा अवश्य रखते हैं।

भगवान शिव ने पार्वती को सुनाया था अमरत्व का रहस्य
मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ गुफा में साक्षात भोलेनाथ विराजमान रहते हैं। जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व की कहानी का रहस्य बताने की इच्छा जताई थी तब भगवान शिव ने अमरनाथ की इस पावन व पवित्र गुफा में उन्हें कहानी सुनाई थी। यह रहस्य बताने के लिए भगवान शिव पार्वती को हिमालय की इस गुफा में इसलिए लेकर आए थे जिससे उनका यह रहस्य कोई और ना सुन पाए और इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताने से पहले अपने गले के शेषनाग को शेषनाग झील, पिस्सुओं को पिस्सु टॉप, अनंतनागों को अनंतनाग में छोड़ दिया, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा। इस प्रकार उन्होनें अपने पास मौजूद सभी जीवों को खुद से दूर कर दिया और उनके बाद माता पार्वती को अमरत्न की कथा सुनाई। भगवान शिव जब माता पार्वती को अमरकथा सुना रहे थें तो उसी समय पार्वतीजी को नींद आ गई। इस दौरान कबूतरों का एक जोड़ा भी इस कथा को सुन रहा था जिसके कारण ये कबूतर का जोड़ा अमर हो गए।

कबूतर का जोड़ा देखने से मिलता है मोक्ष
श्रृद्धालुओं का ऐसा मानना हैं कि इस गुफा में कबूतर का एक जोड़ा रहता है। इस जोड़े को अमर बताया जाता है। और कबूतर का यह जोड़ा किसी भी व्यक्ति को आसानी से दिखाई नहीं देता है। लेकिन जिसको दिखाई देता है उसे स्वयं शिव-पार्वती के दर्शन देकर उसे मोक्ष प्रदान करते हैं।

अमरनाथ यात्रा जाने का पहला रास्ता
अमरनाथ की पावन गुफा तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं पहला रास्ता है पहलगाम। पहलगाम का रास्ता लंबा जरुर है लेकिन सुरक्षा के नजरिए से काफी अच्छा है। सरकार भी इसी रास्ते से अमरनाथ जाने के लिए लोगों को कहती है। पहलगाम के रस्ते से जाते हुए कई दार्शनीक स्थान आते हैं जैसे शेषनाग पंचतरणी, चंदनवाड़ी अनंतनाग, पिस्सु घाटी और कई अन्य स्थल। यहां ऑक्सीजन की कमी और ठंड कई बार यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बन जाती है। हांलाकी यात्री सुरक्षा के हर साल पुख्ता इंतजाम किए जाते है और यात्री भी पूरे इंतजाम के साथ आते हैं।
पहलगाम एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है यहां यात्रियों के ठहरने की उत्तम व्यवस्था है। जम्मू से पहलगाम की दुरी 315 कि.मी है। पहलगाम में प्राइवेट संस्थाओं द्वारा लंगर की व्यवस्था भी की जाती है। यहां से तीर्थयात्री बाबा अमरनाथ के लिए पैदल यात्रा के लिए निकलते हैं। पहलगाम में ठहरने के लिए आपको कई धर्मशालाएं और होटल भी मिल जाएगी। होटलों में सुविधा युक्त कमरे उपलब्ध रहते है। जिसमें एडवांस बुकिंग की व्यवस्था भी रहती है।

यात्रा पर जाने का दूसरा रास्ता
बलटाल दूसरा रस्ता सोनमर्ग बलटाल से होकर जाता है। यहां से जाने वाला रास्ता काफी जोखिम भरा होता है, इसलिए इस रास्ते से जानें का खतरा ना उठाएं। यहां से जानें वाले यात्रियों की जिम्मेदारी सरकार भी नहीं लेती है। यात्री खुद अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाता है। हालांकि यहां से अमरनाथ गुफा में दर्शन करके सिर्फ एक दिन में ही वापस कैंप पर लौटा जा सकता है।
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