देश भर के 51 शक्तिपीठों में बाराही देवी का मंदिर 34वां शक्तिपीठ माना जाता है। यहां पर सती का जबड़ा गिरा था
शिव पुराण के अनुसार माता सती ने शिव के अपमान से दुखी होकर अपने शरीर को योगाग्नि में भस्म कर दिया था। इससे विचलित हुए शिव उनके शरीर को लेकर पूरी ब्रह्मांड में घूमने लगे। इस पर भगवान विष्णु ने सती के शरीर के अपने चक्र से टुकड़े गिर गए। ये टुकड़े जहां-जहां गिरे वहीं शक्तिपीठ बन गए।
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इन्हीं शक्तिपीठों में एक है
बाराही देवी या उत्तरभवानी देवी मंदिर। देश भर के 51 शक्तिपीठों में बाराही देवी का मंदिर 34वां शक्तिपीठ माना जाता है। यहां पर सती का जबड़ा गिरा था। कहा जाता है कि जो यहां आता है और दर्शन करता है उसकी आंखों की रोशनी ठीक हो जाती है।
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मंदिर में है विश्व का सबसे बड़ा वटवृक्ष बाराही देवी का मंदिर अयोध्या से लगभग 36 किलोमीटर दूर है। यहां पूरा मंदिर ही एक वटवृक्ष की जड़ों से घिरा हुआ है। स्थित बाराही देवी मंदिर के पुजारी महंत राघव राम ने बताया कि पूरा मंदिर वटवृक्ष की जड़ों से घिरा है। यह पेड़ लगभग एक किलोमीटर के एरिये में फैला हुआ है और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा वटवृक्ष है। इस पेड़ को लगभग 1800 साल पुराना माना जाता है।
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देवी के दर्शन से दूर हुईं गंभीर बीमारियां
मंदिर के पुजारी राघव राम के अनुसार माता की कृपा से कई रोगियों की बड़ी-बड़ी बीमारियां ठीक हुई हैं। उनेक अनुसार यहां एक नेत्रहीन व्यक्ति आया था जिसे एम्स के इलाज से भी कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद वह मंदिर में आया, जहां उसकी आंखों में वटवृक्ष से निकलने वाला दूध डाला गया। मां के चमत्कार से उसकी आंखें ठीक हो गई।
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अष्टमी को लगता है मेला, आते है लाखों हिंदू-मुस्लिम
यहां नवरात्रि की अष्टमी को मेला लगता है। इस दौरान यहां दो-दो किमी की लंबी लाइन लगती है। दूर-दूर से लोग मां के दर्शन करने नंगे पैर ही आते हैं। उस दिन यहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं। मंदिर में आने वाले लोगों में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के लोग शामिल हैं।