काशी के इन्हीं रहस्यों में से एक है ब्रह्माघाट पर बना भगवान दत्तात्रेय का प्राचीन मंदिर। मान्यता है कि यहां पर भगवान दत्तात्रेय के दर्शन मात्र से ही लाइलाज बीमारी का परमानेंट इलाज हो जाता है। मंदिर के बाहर लगा शिलापट्ट से पता चलता है कि इस मंदिर का इतिहास दो सौ साल से भी ज्यादा पुराना है।
सफेद दाग से मिलती है निजात वैसे तो भगवान दत्तात्रेय के ढेर सारे मंदिर दक्षिण और पश्चिम भारत में है लेकिन काशी स्थित यह देव स्थान उत्तर भारत का अकेला मंदिर है। भगवान दत्तात्रेय के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने अब तक देह ( शरीर ) त्याग नहीं किया है। मान्यता है कि वो पूरे दिन भारत के अलग-अलग स्थानों पर विचरण करते रहते हैं।
मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय हर दिन प्रात: काल गंगा स्नान के लिए काशी स्थित मणिकर्णिका तट पर आते हैं। इस बात का प्रमाण है कि मणिकर्णिका घाट स्थित भगवान दत्तात्रेय की चरण पादुका। कहा जाता है कि ब्रह्माघाट स्थित भगवान दत्तात्रेय के दर्शन मात्र से ही मनुष्य को सफेद दाग जैसे रोग से मुक्ति मिल जाती है।
भगवान का एकमुख स्वरूप वैसे तो भगवान दत्तात्रेय का विग्रह हर जगह तीन मुखों वाला ही मिलता है लेकिन काशी एक ऐसा स्थान है, जहां भगवान दत्तात्रेय एक मुख वाला विग्रह में विराजमान है। बताया जाता है कि भगवान दत्तात्रेय ने ही बाबा कीनाराम को अघोर मंत्र की दीक्षा दी थी। कहा जाता है कि सच्चे मन से भगवान दत्तात्रेय का स्मरण किया जाए तो वे अपने भक्तों को दर्शन भी दे देते हैं।