मां विंध्यवासिनी तीर्थ, जहां दर्शन मात्र से ही कट जाते हैं सारे पाप
Published: Apr 11, 2016 09:54:00 pm
देश के दो प्रमुख तीर्थस्थल काशी और प्रयाग के बीच स्थित विन्ध्यवासिनी पीठ सर्वश्रेष्ठ माना जाता है
मान्यताओं के अनुसार विश्व का सम्पूर्ण ज्ञान, प्रकाश, अस्तित्व, चेतना, आनन्द और क्रिया शक्ति की देवी के कार्य हैं। नवरात्र इसी शक्ति की उपासना का पावन अवसर है। पुराणों सहित अन्य धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। विन्ध्यवासिनी पीठ को भी एक ऐसा ही तीर्थ माना जाता है।
विन्ध्याचल (मिर्जापुर) देश के दो प्रमुख तीर्थस्थल काशी और प्रयाग के बीच स्थित विन्ध्यवासिनी पीठ सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विन्ध्यवासिनी देवी की महिमा का वर्णन देवी पुराण शिवचरित, मत्स्य पुराण, कुजिंका आदि अनेक ग्रन्थों में वर्णन किया गया है। विन्ध्याचल को महापुण्य और मोक्षदायिनी पीठ कहा जाता है। देवी विन्ध्यवासिनी को महिषासुरमर्दिनी और महालक्ष्मी के रूप में माना जाता है।
सुविख्यात श्रीयंत्र त्रिपुर सुन्दरी का यंत्र है। प्राकृतिक हरितिमा के बीच श्रद्धालु त्रिकोण यंत्र की परिक्रमा पूर्ण करते है। इस यंत्र में ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति और विकास को दर्शाया गया है। यंत्र के एक कोण पर महालक्ष्मी के रूप में मां विन्ध्यवासिनी विद्यमान हैं। यंत्र के पश्चिम कोण पर महासरस्वती के रूप में अष्टभुजा देवी, दक्षिण कोण में योगमाया महाकाली जी स्थित हैं। सत, रज और तम गुणों का यह त्रिकोण महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के रूप में हैं।
महालक्ष्मी विन्ध्यवासिनी देवी इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी है। इन्हे तीनों नामों से पूजा जाता है। अनूठे रहस्य से भरा यह त्रिकोण यंत्र पूरे विश्व में इकलौता है। यहां के दर्शन मात्र से ही भक्तों के समस्त पाप नष्ट होते हैं तथा उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है।