scriptभारत ही नहीं विदेशों में भी हैं मां के नौ शक्तिपीठ | Navratri Special: 9 Shaktipeeths are located in foreign | Patrika News

भारत ही नहीं विदेशों में भी हैं मां के नौ शक्तिपीठ

Published: Oct 18, 2015 02:50:00 pm

दुर्गा सप्तशती के अनुसार माता सती द्वारा हवन कुंड में देह त्याग करने से भगवान् शिव क्रोधित हो उठे और माता को कंधे पर उठाकर यहां-वहां घूमने लगे

Maa ugra tara

Maa ugra tara

दुर्गा सप्तशती के अनुसार माता सती द्वारा हवन कुंड में देह त्याग करने से भगवान् शिव क्रोधित हो उठे और माता को कंधे पर उठाकर यहां-वहां घूमने लगे। तब भगवान् विष्णु ने अपना चक्र चलाकर देवी के शरीर के टुकड़े क र दिए। जिन स्थानों पर ये अंग गिरे बाद में वे ही शक्तिपीठ कहलाए।



(1) गंडकी (नेपाल) : गंडकी नदी के उद्गम पर स्थित इस मंदिर में माता सती का दांया गाल गिरा था। यहां देवी को “गंडकी” व शिव को “चक्रपाणी” रूप में पूजा जाता है।
(2) गुहेश्वरी(नेपाल) : नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के निकट स्थित गुहेश्वरी मंदिर में माता के दोनों घुटने गिरे थे। यहां शक्ति को “महामाया” और शिव को “कपाल” के रूप में पूजते हैं।
(3) हिंगलाज देवी (पाकिस्तान) : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के समीप हिंगलाज माता का मंदिर है। यहां माता सती का सिर गिरा था। यहां देवी को “भैरवी” व भगवान शिव को “भीमलोचन” कहा जाता है।
(4) लंका (श्रीलंका) : इस स्थान पर देवी सती की पायल गिरी थी। यहां माता “इंद्राणी” और शिव “राक्षसेश्वर” कहलाते हैं।
(5) मानस (तिब्बत) : तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है मानस शक्तिपीठ। यहां देवी की दायीं हथेली गिरी थी। देवी यहां “दाक्षायणी” और शिव “भैरव” रूप में हैं।
(6) सुगंध (बांग्लादेश) : सुगंध नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ। यहां देवी की नसिका गिरी थी। देवी को यहां “सुनंदा” और शिव को “˜यम्बक” रूप में पूजा जाता है।
(7) करतोया तट (बांग्लादेश) : भवानीपुर के पास करतोया तट पर सती माता की बाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां कि शक्ति”अपर्णा” और भैरव “वामन” हैं।
(8) भवानी मंदिर (बांगलादेश) : चटगांव से 38 किमी दूर सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी मंदिर है। यहां सती की दायीं भुजा गिरी थी। यहां देवी को “भवानी” व भगवान शिव को “चंद्रशेखर” कहा जाता है।
(9) यशोर (बांग्लादेश) : जैसोर शहर में माता सती की बायीं हथेली गिरी थी। यहां सती को “यशोरेश्वरी” व शिव को “चंद्र” कहा जाता है।


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