scriptजानें, पितृपक्ष में बिहार के गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान | Pitru paksha 2019: date, Shradh and Pind Daan in gaya | Patrika News

जानें, पितृपक्ष में बिहार के गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान

locationभोपालPublished: Sep 03, 2019 01:25:14 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

Pitru paksha 2019: गया में भगवान विष्णु पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं। यही कारण इसे मोक्ष की भूमि भी कहा जाता है।

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भगवान विष्णु की नगरी गया धाम पितृ पक्ष ( pitru paksha ) मेले के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर हर साल विश्व प्रसिद्ध पितृ पक्ष मेले की शुरुआत होने के साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान होता है। इस दौरान यहां पर देश-विदेश से लोग आते हैं और फल्गू नदी में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के दर्शन करते हैं, तब पिंडदान करते हैं।
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हिन्दू धर्म के अनुसार, हर वर्ष भादो के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक की अवधि पितृपक्ष कहलाती है। इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर ( शुक्रवार ) से शुरू हो रहा है, जो 28 सितंबर ( शनिवार ) तक रहेगा। मान्यता है कि पितृ पक्ष में मृत्यु के देवता यमराज कुछ समय के लिए पितरों को मुक्त कर देते हैं ताकि वे अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
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वैसे तो हमारे देश में पितृपक्ष में पिंडदान कई जगहों पर किया जाता है लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का अलग ही महत्व है। गया में पिंडदान करने की प्रथा कई युगों से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम और देवी सीता ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था।
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महाभारत के अनुसार, भादो महीने के पितृपक्ष में फल्गु नदी में स्नान करके जो भी गया में भगवान विष्णु का दर्शन करता है, वह पितृ ऋण से विमुक्त हो जाता है। मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु यहां पर पितृ देवता के रूप में मौजूद हैं। यही कारण इसे मोक्ष की भूमि भी कहा जाता है। गया में पितृ पक्ष में तीन मुख्य कार्य होते हैं, पिंडदान, तर्पण और ब्रह्म भोज।
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विष्णु पुराण के अनुसार, गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और वे स्वर्ग में वास करने लगते हैं। यही कारण है कि पितृपक्ष में यहां देश-विदेश से लोग आते हैं और पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए पहले फल्गु नदी में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु के दर्शन करते हैं, उसके बाद पिंडदान करते हैं।
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