Sawan 2019 : सावन सोमवार ( sawan somwar ) को महादेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो कहा जाता है कि याद कर लेने से ही महादेव प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन सावन में उन्हें खुश करने के लिए भांग, दूध, धतूरा और बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
Sawan 2019 : सावन महीने में इन 5 शिव मंदिरों का दर्शन जरूर करें
Sawan 2019 शुरू हो चुका है। सावन महादेव का महीना माना जाता है। कहा जाता है कि सावन महीने ( month of sawan ) में भगवान शिव ( Lord Shiva ) की पूजा करने से कई गुना लाभ मिलता है। सावन सोमवार ( sawan somwar ) को महादेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वैसे तो कहा जाता है कि याद कर लेने से ही महादेव प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन सावन में उन्हें खुश करने के लिए भांग, दूध, धतूरा और बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
आज हम आपको भारत के ऐसे शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इन शिव मंदिरों के दर्शन करने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं और पूजा-पाठ करते हैं।
केदारनाथ ( उत्तराखंड ) केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर हिन्दू धर्म के अनुनायियों के लिए पवित्र स्थान माना जाता है। मान्यता है कि सावन महीने में केदारनाथ का दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
भीमाशंकर ( महाराष्ट्र ) भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के पुणे में भीमा नदी के पास स्थित है। यह स्थान भगवान शिव का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहां के शिवलिंग को मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। यहां का शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
काशी विश्वनाथ मंदिर ( उत्तर प्रदेश ) काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है। काशी को वाराणसी या बनारस भी कहा जाता है। मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर गंगा नदी बहती है। यहां आने वाले श्रद्धलु पहले गंगा में स्नान करते हैं, फिर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं।
तारकेश्वर मंदिर ( पश्चिम बंगाल ) तारकेश्वर मंदिर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के तारकेश्वर में स्थित है। राजधानी कोलकाता से इसकी दूरी लगभग 85 किमी है। यह मंदिर तारकनाथ को समर्पित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ही तारकनाथ हैं। पश्चिम बंगाल में यह शिवजी का सबसे पुराना और पॉपुलर मंदिर है।
लिंगराज मंदिर ( भुवनेश्वर ) लिंगराज मंदिर ओडिसा के भुवनेश्वर में स्थित है। यह मंदिर हिन्दुओं के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। इस मंदिर को प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई 180 फीट है। मंदिर के प्रांगण गौरी, गणेश और कार्तिकेय का प्रतिमा स्थापित है।