scriptएक ऐसा मंदिर जहां बहन के साथ विराजमान हैं धर्मराज यमराज | Story of yamunotri dham temple uttrakhand | Patrika News

एक ऐसा मंदिर जहां बहन के साथ विराजमान हैं धर्मराज यमराज

locationभोपालPublished: Oct 26, 2019 01:10:08 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

माता यमुना सूर्य देव की पुत्री हैं और धर्मराज यमराज की छोटी बहन।

yamunotri_temple.jpg
हमारे देश में बहुत से ऐसे मंदिर है, जो अपने आप में अलग स्थान रखते हैं। इन मंदिरों की कोई न कोई विशेषता होती है, जिस कारण लोग इन्हें जानना चाहते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना गया है।

बहन के साथ विराजमान यमराज

यह मंदिर हिमालय क्षेत्र के पश्चिमी भाग में स्थित है। इस मंदिर को ‘माता यमुनोत्री का मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, माता यमुना सूर्य देव की पुत्री हैं और धर्मराज यमराज की छोटी बहन। इस मंदिर में मृत्यु के देवता यम अपनी छोटी बहन यमुना से साथ विराजमान हैं।
यमुनोत्री मंदिर का निर्माण

इतिहासकारों के अनुसार, यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने कराया था। हालांकि इस धाम का पुन: निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में कराया। यह स्थान उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कालिंद पर्वत पर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में यमुना देवी की काले संगमरमर की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठित है। यमुनोत्री धाम का मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर एवं जानकीचट्टी है।

हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा का है बहुत महत्व

जैसा कि हम सभी सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा का बहुत महत्व है। माना जाता है कि जो व्यक्ति चार धाम की यात्रा कर लेता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार, इन्ही चारों धामों में से एक धाम यमुनोत्री मंदिर भी है।

यहां है दो पवित्र कुंड

यमुनोत्री मंदिर से ही यमुना नदी का उद्भव हुआ है। बताया जाता है कि इसके पास ही दो पवित्र कुंड भी है, जिसे सूर्य कुंड और गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है। यमनोत्री मंदिर के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं और दिवाली के दूसरे दिन बंद कर दिया जाता है।

उच्चतम तापमान के लिए प्रसिद्ध है सूर्य कुंड

सूर्य कुंड का जल उच्चतम तापमान के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाले श्रद्धालु कपड़े की पोटली में चावल सूर्य कुंड के जल में पकाते हैं और प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। सूर्य कुंड के निकट ही दिव्य शिलाखंड स्थित है। इसे ज्योति शिला भी कह जाता है। कहा जाता है कि सूर्य कुंड में स्नान करने के बाद यमुनोत्री आने वाले तीर्थयात्रियों की थकान पल भर में दूर हो जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो