ये है मामला
बताया गया कि 2004 में वरुण गांधी भड़काऊ भाषण देकर जीते थे, तो वही 2009 में मेनका ने कहा था कि यहां घर-घर मेनका है, लेकिन इस बार राजनीतिक महौल कुछ और ही है। मेनका जहां अपना राजनीतिक क्षेत्र पीलीभीत नहीं छोड़ना चाहती तो वहीं इस सल्तनत को अपने बेटे वरुण को सौंप रही हैं। यह चर्चाएं मीडिया में भी अब आम हो गयी हैं कि मेनका गांधी पीलीभीत से चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनकी जगह उनके पुत्र फिरोज वरुण गांधी अपना भाग्य आजमायेंगे।
बताया गया कि 2004 में वरुण गांधी भड़काऊ भाषण देकर जीते थे, तो वही 2009 में मेनका ने कहा था कि यहां घर-घर मेनका है, लेकिन इस बार राजनीतिक महौल कुछ और ही है। मेनका जहां अपना राजनीतिक क्षेत्र पीलीभीत नहीं छोड़ना चाहती तो वहीं इस सल्तनत को अपने बेटे वरुण को सौंप रही हैं। यह चर्चाएं मीडिया में भी अब आम हो गयी हैं कि मेनका गांधी पीलीभीत से चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनकी जगह उनके पुत्र फिरोज वरुण गांधी अपना भाग्य आजमायेंगे।
विधायक कर रहे विरोध
पूरनपुर विधायक बाबूराम पासवान के अलावा पीलीभीत लोकसभा बहेड़ी से सभी विधायक भी इनका विरोध कर रहें हैं। पीलीभीत लोकसभा से अमूमन गांधी परिवार ही जीतता चला आ रहा है, लेकिन इस बार माहौल कुछ और ही है। मेनका-वरुण का पुरजोर विरोध देखने को सामने आया है। पीलीभीत में भाजपा विधायक राम सरन वर्मा, बरखेड़ा विधायक किशल लाल राजपूत, शहर विधायक संजय सिंह गंगवार, बहेड़ी विधायक छत्रपाल सिंह, भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सुरेश गंगवार व विजय सिंह गंगवार के नेतृत्व में मेनका व वरुण का पुरजोर विरोध हुआ। इन नेताओं की मांग है कि जो भी प्रत्याशी हो वह स्थानीय हो और बाहरी न हो जो हमें महीनों में एक बार देखने आये। इन नेताओं के साथ पूर्व राज्यमंत्री डॉ. विनोद तिवारी भी साथ रहे, जिन्होंने कहां कि ये लोग सिर्फ मतलब की राजनीति करते हैं और समय आने पर हमे भूल जाते हैं।
पूरनपुर विधायक बाबूराम पासवान के अलावा पीलीभीत लोकसभा बहेड़ी से सभी विधायक भी इनका विरोध कर रहें हैं। पीलीभीत लोकसभा से अमूमन गांधी परिवार ही जीतता चला आ रहा है, लेकिन इस बार माहौल कुछ और ही है। मेनका-वरुण का पुरजोर विरोध देखने को सामने आया है। पीलीभीत में भाजपा विधायक राम सरन वर्मा, बरखेड़ा विधायक किशल लाल राजपूत, शहर विधायक संजय सिंह गंगवार, बहेड़ी विधायक छत्रपाल सिंह, भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सुरेश गंगवार व विजय सिंह गंगवार के नेतृत्व में मेनका व वरुण का पुरजोर विरोध हुआ। इन नेताओं की मांग है कि जो भी प्रत्याशी हो वह स्थानीय हो और बाहरी न हो जो हमें महीनों में एक बार देखने आये। इन नेताओं के साथ पूर्व राज्यमंत्री डॉ. विनोद तिवारी भी साथ रहे, जिन्होंने कहां कि ये लोग सिर्फ मतलब की राजनीति करते हैं और समय आने पर हमे भूल जाते हैं।
क्या मेनका और वरुण नहीं लड़ेंगे पीलीभीत से चुनाव
मेनका और वरुण हमेशा पीलीभीत में दिखाई देते हैं, लेकिन वक्त जब जनता के काम का पड़ता है तब यह दोनों नदारत हो जाते हैं। बीते काफी समय से इनका संगठन के साथ विवाद चल रहा है। यह भी कारण माना जा सकता है कि इसी वजह से इनका टिकट भाजपा काट रही हो। सूत्रों की मानें तो भाजपा ने इस बार करीब 100 सांसदों के टिकट काट दिए हैं और इसमें मेनका और वरुण भी शामिल हैं।