पीलीभीत से शुरू होगी माडल जनपद बनाने की मुहीम
रिटायर्ड आइएएस डॉ.टॉवरी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1997 में ईको फ्रेंडली मॉडल पर काम शुरू किया था, उस वक्त वो भारत सरकार में सचिव थे। उन्होंने कहा कि आज गांवों के विकास करने की जरूरत है, तभी देश का विकास संभव है। लोगों से अपील की कि वह खुद को पहचानने का काम करें, उन्होंने पीलीभीत से ही यह काम शुरू करने को इसलिए चुना है क्योंकि यहां पर हर धर्म, जाति, समुदाय, प्रांत के लोग रहते हैं। यहां के लोग सम्मानपूर्वक जी रहे है। आज संस्कृति और भाषा को बचाने की दिशा में काम किया जाए। पीलीभीत ईको मॉडल जिला बने, जिससे बाहर के लोग यहां भ्रमण करने के लिए आएं। उन्होंने कहा कि लोगों को भटकाव से बाहर निकाला जाना चाहिए। उनके जीवन स्तर की दिशा में काम किया जाए। सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा जाए, तभी असल में लाभ लोगों को मिल सकेगा। रोजगार के विकल्प को तलाशा जाना चाहिए, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। पर्यावरणपूरक रोजगार शुरू करना चाहिए। जनपद में रूरल बिजनेस हब खोला जाएगा, जिसमें ग्रामीण पत्रकारो की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने बताया कि जर्मनी की संस्था से आई जर्मन लेडी इरमिल आई हुई है और वो पीलीभीत को चार माह के लिए गोद ले रही है। इस दौरान वो पीलीभीत में ग्रामीण स्वरोज़गार, ईको-रूरल डेवेलपमेन्ट के लिए लोगो को प्रेरित करेंगी।
जर्मन रिसर्चर इरमिल ने बताया
जहां पर लोगों को रोज़गार के बारे में बताया जाएगा। हम सभी को ग्रासरूट लेवल पर जाकर उसको मजबूत करना चाहिए। सरकारी विभागों को छोटा किया जाए, तभी विकास संभव है। इसके बाद टांडा बिजैसी के प्रगतिशील किसान वीरपाल चौधरी, पर्यावरणचिंतक परवेज हनीफ, पूर्व ब्लाक प्रमुख अमरिया सर्वदत्त सिंह, स्वर्णदत्त सिंह समेत कई प्रबुद्ध लोगों से जनपद के संबंध वार्ता की।