पीलीभीत में चार चीनी मिल पीलीभीत में इस वक्त चार चीनी मिल चल रही है। पीलीभीत शहर में निजी चीनी मिल एलएच शुगर फैक्ट्री, बरखेड़ा में निजी चीनी मिल बजाज हिन्दुस्तान व दि किसान सहकारी चीनी मिल बीसलपुर व पूरनपुर कार्य कर रही है। तराई के इस गन्ना बहुल जनपद के गन्ना किसान अपना गन्ना इन्हीं चीनी मिलों में बेचते हैं। अफसोस की बात यह है कि किसान अपने भुगतान और गन्ना तौल और खेतों में खड़े गन्ने को लेकर बहुत ही चिन्तित है।
बंद हैं दो चीनी मिल दि किसान सहकारी चीनी मिल पूरनपुर करीब डेढ़ माह पूर्व तकनीकी खराबी के कारण बिना किसी सूचना के बंद हो गयी। निजी चीनी मिल बजाज हिन्दुस्तान ने भी बिना किसी नोटिस के मिल एक माह पूर्व बंद कर दी। इसके बाद जनता ने जब मेनका गांधी का दरवाजा खटखटाया तो उनके शब्द अजीबो-गरीब थे। बोलीं कि देश को नहीं चाहिए चीनी, क्यों उगाते हो गन्ना।
मीलों लम्बी लाइन में किसान जिलाधिकारी डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र ने जिन किसानों का गन्ना बचा था और उनके क्षेत्र की मिले बंद हो गयी थीं, उनके गन्ने को खरीदने के लिए पीलीभीत की एलएच शुगर मिल व बीसलपुर की दि किसान सहकारी चीनी मिल को आदेश दिए। मिलें गन्ना खरीदने को तैयार तो हो गयीं, लेकिन किसान अब मीलों लम्बी लाइन लगाकर अपना गन्ना बेचने को तरस रहा है। किसानों की आड़ में गन्ना माफियाओं का गन्ना बैकडोर से चीनी मिलें बिना लाइन लगाए ले रही हैं।
किसानों की पीड़ा हमारी कुछ किसानों से बात हुई कि उन्हें क्या परेशानियां हो रही हैं, तो किसान बोले कि वो कई मील लम्बी कतार लगाकर कई दिन से गन्ना बेचने के लिए खड़े हैं। यहां उनको लाइन लगानी पड़ रही है, लेकिन गन्ना माफियाओं को नहीं। किसान परेशान और बदहाल है। किसानों का यह भी कहना है कि उनके गन्ने का भुगतान भी नहीं हो रहा है। खेतों में गन्ना अभी खड़ा हुआ है।
क्या कहते हैं सहकारिता मंत्री पीलीभीत में अपने एक दिवसीय भ्रमण पर पहुंचे प्रदेश के सहकारिता मंत्री व प्रभारी मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा से जब गन्ना किसानों के मुद्दे पर पूछा गया तो वे बोले कि आप पिछले सारे रिकॉर्ड उठाकर देखिए कि हमारी सरकार ने कितने गन्ना की पेराई कर ली है। बोले कि इस बार मई में भी फैक्ट्री चल रही है। गन्ना भुगतान पर बोले कि जितना पेमेन्ट गन्ने का इस सरकार ने किया है, उतना कभी नहीं हुआ।