सरकार पर निशाना राइस मिलर्स का कहना है कि जितने भी राइस मिल यूपी में संचालित हैं, वह सभी आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रही हैं और बंदी के कगार पर है। क्योंकि सरकार जो धान देती है उसके बदले 67 प्रतिशत चावल लेती है, जबकि 60 प्रतिशत ही चावल निकलता है। साथ ही धान की कुटाई 20 रूपए प्रति कुंतल दी जा रही है जबकि 150 रूपए का खर्च आ रहा है। इसके साथ ही राइस मिलर्स की मांग है कि उन्हें भी धान खरीद का अवसर दिया जाये ताकि उनके खातों का टर्नओवर हो सके। पदाधिकारियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो धान खरीद नीति का विरोध किया जायेगा। बैठक में जहां लगभग सारे वक्ताओं ने नई खरीद नीति को राइस मिलर्स विरोधी बताते हुए इसका विरोध करने की बात कही। लगभग सभी वक्ताओं ने आंदोलन और हड़ताल के संबध में रणनीति तैयार करने की बात की। प्रदेश महामंत्री विनय शुक्ला ने कहा कि चार बार सरकार के साथ बात हुई है लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला है। सही कहें तो रिजल्ट जीरो ही आया है। यह गूंगी बहरी सरकार जिसे हमने नोट दिया वोट दिया आज हमारी ही दुश्मन बन गई है। दो हजार करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है।
गौरतलब हो कि 1 अक्टूबर से सरकार किसानों से धान खरीदती है और खरीदे हुए धान को राइस मिलर्स को देकर चावल लेती है। ऐसे में अगर राइस मिलर्स सरकार का धान नहीं लेंगे तो सरकार के सामने संकट खड़ा हो सकता है।