विशेषज्ञों का कहना है कि यह पक्षी साईबेरिया से आते है और इनका घर उन जगाहों पर होता है जहाॅ इन दिनों पानी में बर्फ जम जाती है। यह पक्षी 2 हजार से लेकर 5 हजार किलो मीटर तक का सफर तय करते है। इन पक्षियों का ग्रुप लीडर जगाह तो तलाश करता है कि कौन सा जलक्षेत्र उनके लिये अच्छा रहेगा। यहाॅ इन पक्षियों का प्रजनन काल भी होता है। यह यहाॅ पर अपना परिवार बडाते है और मार्च के माह में वापस अपने देश लौट जाते है। भोजन चक्र बिगड़ने से विदेशी पक्षियों की आमद कम हुई है। प्रवासी पक्षियों का मुख्य भोजन छोटी मछलियां या इनसे मेल खाते जीव-जंतु और कीड़े-मकोड़े हैं। लेकिन प्रदूषण, सीवेज का पानी, इलेक्ट्रानिक और घरेलू प्लास्टिक कचरे के झीलों में जमा होने से आहार की उपलब्धता पर असर पड़ा है। नतीजतन पक्षी भी घट गए। इस वजह से पक्षियों को भोजन तलाशने में कठिनाई तो होती ही है, समय भी ज्यादा लगता है।
तो वहीं पूरे देश में मांस के शौकीनों की बढ़ती संख्या ने भी प्रवासी पक्षियों को संकट में डाला है। इन पक्षियों का मांस बेहद महंगा बिकता है। लिहाजा शिकारियों को दाम भी अच्छे मिलते हैं। जिंदा और मरे पक्षियों का कारोबार इधर खूब फल-फूल रहा है। शिकारी क्षेत्र में बेहोशी की दवा दानों में मिलाकर डाल देते हैं। इसे खाने से पक्षियों के बेहोश होते ही शिकारी इन्हें पकड़ लेते हैं। नशीली दवा खाने से बेहोश या दम तोड़ चुके पक्षी को खाने से मानव स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता। क्योंकि नमक डले पानी से मांस का शोधन करने से दवा का असर एकदम खत्म हो जाता है। इन पक्षियों को थोक में पकड़ने के लिए शिकारी रात के सन्नाटे का भी लाभ उठाते हैं। शिकारी एक ओर जाल पकड़कर बैठ जाते हैं और दूसरी तरफ से थाली और खाली कनस्तर बजाकर शोर करते हैं। इस आतंकित ध्वनि प्रदूषण से पक्षी ध्वनि की विपरीत दिशा में सीधी उड़ान भरते हैं और जाल में उलझ जाते हैं। शिकार पर न वन अमले का की अंकुश है और न ही पुलिस का। नतीजतन शिकार की तादाद निरंतर बढ़ रही है। अगर प्रदूषण और शिकार से मुक्ति के उपाय नहीं तलाशे गए तो तय है कि एक दिन ऐसा भी आ सकता है कि जब प्रवासी पक्षी मनोरम भारतीय झीलों से हमेशा के लिए रूठ जाएं?
वन विभाग की उदासीनता के चलते इस बार इन पक्षियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने अपने हाथों में ले ली है। एसएसबी के एरिया आफिसर थान सिंह ने बताया कि लोग इनका शिकार करना चाहते है, तो इस बार हम देश की सुरक्षा के साथ-साथ इन पक्षियों की भी सुरक्षा कर रहे है।