वीएम सिंह ने कहा कि सुल्तानपुर के किसान मुझे फोन करके पूछते हैं कि सुल्तानपुर की भाजपा प्रत्याशी पीलीभीत से आयी हैं। आप देश भर के किसानों की नुमाइंदगी कर रहे हो, आप बताओ क्या वाकई मेनका गांधी ने पीलीभीत के किसानों के लिए अच्छे काम किए हैं? चूंकि आपका चुनाव सामने है तो अब मैं आपको सही बात बताना चाहूंगा कि किसानों का मेनका गांधी से दूर दूर तक लेना देना नहीं है। या यूं कहें कि मेनका किसान विरोधी हैं तो गलत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जब मेनका 30 साल पहले ये पीलीभीत में आयीं थीं, तब पीलीभीत बहुत खुशहाल था। उस समय पीलीभीत ने इन्हें जिताया था। आज आलम ये है कि मेनका गांधी तो बहुत खुशहाल हो गई हैं और पीलीभीत बर्बाद हो गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जो किसान इनसे अलग चलना चाहता है, उसके खिलाफ अधिकारियों को कहकर गुंडा एक्ट या ऐसी धारा लगवाती हैं कि उसको बेल न मिले। हाल ही मेनका का ऐसा वीडियो सामने भी आया था जिसमें वे अधिकारियों से कह रही हैं कि ऐसी धारा लगा दो कि इसको बेल न मिले। जब पिछले साल गन्ना बर्बाद हुआ और किसानों को पेमेंट नहीं मिल रहा था तो किसानों से मेनका बोलीं कि गन्ना क्यों बोते हो? वीएम सिंह बोले, जिसे गन्ने के बारे में कुछ मालूम नहीं है, उससे उम्मीद क्या की जा सकती है। मेनका का खेती से कोई लेना देना नहीं है।
वीएम सिंह ने कहा कि मेनका से एक पुल की मांग की गई तो वो पुल आज तक नहीं बन पाया। इनको केवल वोट से मतलब है। भाजपा में हैं तो धर्म की बात जरूर करती हैं। वे बोले कि मेनका से पूछिएगा कि 1998 में जब पीलीभीत में मंदिर टूटा था तो उसमें किसका हाथ था? उस समय भाजपा की सरकार थी और ये मंत्री थीं। उस समय आरएसएस और बजरंगदल के लोग मेरे पास आए और कहा कि ये बहुत मजबूत हैं, हम कुछ कर नहीं पा रहे। फिर हम लोग हाईकोर्ट गए, तब जाकर मंदिर बना। इन्होंने तो वहां रासलीला फिर बंद करवा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश से वहां रासलीला होती हैं। ये न तो किसान की हैं और न धर्म की।
वीएम सिंह ने कहा कि मेनका गांधी 2006 में जब सामाजिक न्याय की मंत्री थीं। उस समय इन्होंने अपनी बहन अंबिका शुक्ला को 50 लाख रुपया सरकारी धन से आवंटित किया था। उसके लिए आज भी सीबीआई कोर्ट में इनके खिलाफ केस चल रहा है। सुल्तानपुर के लोगों अब आप मेनका गांधी की कार्यशैली समझो। पीलीभीत के लोग तो समझ चुके हैं। उन्होंने कहा कि इन्होंने पीलीभीत के लोगों, किसान और विकास के लिए कुछ नहीं किया। इनका यहां कोई योगदान नहीं है। अब ये सुल्तानपुर आयी हैं। अब आप देखिए कि आप इनको झेलना चाहेंगे या बाहर का रास्ता दिखाना चाहेंगे।