सपा द्वारा जारी की छठी लिस्ट में सबसे ज्यादा चर्चा पीलीभीत उम्मीदवार भगवत सरन गंगवार की हो रही है। इसके पीछे की वजह हैं वरुण गांधी। वरुण गांधी पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं, लेकिन इस बार उनके टिकट को लेकर असमंजस की स्थिति है। माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काट सकती है। हालांकि, अभी तक बीजेपी ने इस सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
पीलीभीत का किला फतह करने के लिए सपा ने पूर्व मंत्री और 5 बार के विधायक भगवत शरण पर दांव खेला है। भगवत शरण गंगवार नवाबगंज से पांच बार विधायक रह चुके हैं। भगवत शरण ने राममंदिर लहर के दौरान हुए 1991 और 1993 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और उन्होंने दोनों ही चुनाव में जीत हासिल की थी। 1996 में समाजवादी पार्टी के छोटेलाल गंगवार ने भगवत शरण को हरा दिया।
इसके बाद 2002 में भगवत शरण गंगवार कमल का साथ छोड़ कर साइकिल पर सवार हो गए। 2002 विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2003 में सपा सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं। इसके बाद साल 2007 और 2012 भी भगवत शरण गंगवार विधायक बने। हालांकि, 2012 में चुनाव जीतेने के बाद भगवत शरण प्रदेश सरकार में स्वतन्त्र प्रभार के मंत्री भी बनाए गए जिन्हें बाद में मंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है।
साल 2009 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने भगवत शरण गंगवार को बरेली से चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भगवत शरण गंगवार ने इस चुनाव में 72 हजार वोट हासिल कर चौथे स्थान पर रहे थे। हालांकि, इस चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ था, जिसके तहत लगातार छह बार बरेली लोकसभा सीट का चुनाव जीतने वाले संतोष गंगवार को नौ हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
2019 में सपा और बसपा का गठबंधन हो गया। सपा ने एक बार फिर भगवत शरण गंगवार को बरेली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। लेकिन इस बार भी उन्हें बीजेपी के संतोष गंगवार से हार का सामना करना पड़ा। इस बार सपा ने भगवत शरण गंगवार को बरेली के बजाय पीलीभीत मैदान में उतारा है। भगवत शरण गंगवार के मैदान में आने से चुनावी मुकाबला रोमांचक हो गया है।