पीलीभीत के जंगल में बनेगा केंद्र इको सिस्टम का अहम हिस्सा होने के बाद भी देश भर से लगभग गिद्धों का सफाया हो चुका है। वैज्ञानिक इसका सबसे बड़ा कारण पशुओं को दी जाने वाली दर्दनिवारक दवा डाइक्लोफेनिक को मानते है।ऐसे पशुओं का मांस खाने से गिद्धों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ा और देश से करीब 97 प्रतिशत गिद्ध समाप्त हो गए। गिद्धों को संरक्षित करने के लिए बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने आईवीआरआई की मदद से हरियाणा के पिंजौर में केंद्र बनाया था जहाँ पर गिद्धों का संरक्षण किया जा रहा है। इस केंद्र में गिद्धों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। अब यहाँ के गिद्धों को देश के अलग अलग हिस्सों में छोड़ा जाएगा। जिसमे एक केंद्र पीलीभीत के जंगलों को भी बनाया गया है।
होगा सर्वे पीलीभीत के जंगलों में गिद्धों को छोड़ने के पहले आईवीआरआई के वैज्ञानिक सोसाइटी के साथ मिलकर सर्वे करेंगे और ये देखेंगे की यह जगह गिद्धों के अनुकूल है कि नहीं। सर्वे के बाद यहाँ गिद्धों को छोड़ा जाएगा और आईवीआरआई के वैज्ञानिक गिद्धों की सेहत पर लगातार नजर रखेंगे।
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