scriptमाता वामादेवी के १४ स्वप्नों पर बालिकाओं की मनमोहक प्रस्तुति | Beautiful presentation of girls on 14 dreams of Mata Vamadevi | Patrika News

माता वामादेवी के १४ स्वप्नों पर बालिकाओं की मनमोहक प्रस्तुति

locationपीथमपुरPublished: May 09, 2022 12:09:44 am

Submitted by:

Shailendra shirsath

अंजनश्लाका प्रतिष्ठा: दादा आदिनाथ के च्वन कल्याणक का हुआ महामंचन

माता वामादेवी के १४ स्वप्नों पर बालिकाओं की मनमोहक प्रस्तुति

माता वामादेवी के १४ स्वप्नों पर बालिकाओं की मनमोहक प्रस्तुति

सांवेर. अंजनश्लाका प्रतिष्ठा महोत्सव रविवार का दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव दादा आनिनाथ के जन्म च्वन कल्याणक को समर्पित रहा। प्रात:काल से रात्रिपर्यन्त तक दादा के च्वन कल्याणक वृतांतों का सजीव मंचन हुआ, जिसके साक्षी नगर और क्षेत्र के तमाम साधर्मिक महिला-पुरुष बने। राजदरबार के रूप में सजे मंच पर ही महोत्सव में रविवार को शामिल हुए अतिथियों और रविवार की दिन के लाभार्थियों का बहुमान भी श्रीसंघ की ओर से किया गया। साथ ही जैन अल्पसंख्यक कार्यशाला का आयोजन भी संपन्न हुआ। अंजनश्लाका प्रतिष्ठा महोत्सव के द्वितीय दिवस रविवार की शरुआत प्रात:काल में पद्मावती बहू मंडल द्वारा मंगलगान से हुई। इसके बाद नगर के प्राचीन मंदिर और उपाश्रय के उद्धारक जैनाचार्य जितरत्नसागर सुरिश्वर के साथ आचार्य चंद्ररत्नसागर सुरिश्वरजी, साध्वी सौम्यवंदना,साध्वी राजिता, अर्हमव्रता श्रीजी और अन्य श्रमण-श्रमणियों की निश्रा में मंदिरजी से भगवान ऋषभदेव च्वन कल्याणक वरघोड़ा ढोलक की थाप तथा शहनाइयों की मधुर धुनों के साथ महोत्सव आयोजन स्थल अयोध्याधाम के लिए निकला। वरघोड़ा में आगे कलशधारी महिलाएं चल रही थीं, जबकि पीछे झूमते -नाचते श्रावक -श्राविकाएं चल रही थीं। अयोध्याधाम में विशाल पंडाल में भव्य मंच पर राजदरबार सजाया गया है, जहां रविवार को दादा आदिनाथ के जन्म कल्याणक के पूर्व की वृतांतों का सजीव महामंचन होना था। लाभार्थी दीपचंद डांगी परिवार की ओर से प्रात: नवकारसी के बाद मंच पर च्वन कल्याणक विधान का मंचन आचार्यश्री और साध्वी भगवंतों की पावन निश्रा में प्रारंभ हुआ।
ख्यातिप्राप्त विधिकार और संगीतकार त्रिलोक मोदी अग्रणी भूमिका में महिला-पुरुषों और बालिकाओं ने हर वृतांत की सुंदर प्रस्तुतियां दीं । भव्य मंच पर सजे राजदरबार में अमित और खुशबू बावेल महाराज और महारानी अर्थात भगवान के माता-पिता के रूप में थे तो विजयकुमार, आशा कोठारी धर्मेंद्र और इंद्राणी के उच्च सिंहासन पर सुशोभित थे तो सुरेशचंद्र बावेल राजा के खजांची के रूप में आसन पर बैठे। गौरव मंडलेचा जैन महामंत्री और रवि कटारिया नगर सेठ तथा अमय जैन क्षेत्रपाल की वेशभूषा में सजे बैठे थे।
भगवान के जन्म कल्याणक के पूर्व माता वामादेवी को आए 14 स्वप्नों को बालिकाओं ने संगीतकार त्रिलोक मोदी के निर्देशन में संगीत और नृत्य के साथ मनमोहक रूप से प्रस्तुत किया। मंच पर कार्यक्रम की शुरुआत के पहले आचार्यश्री जिनरत्नसागरजी, चंद्ररत्नसागरजी, साध्वी भगवंत सूर्यकांता श्रीजी और सौम्यवंदना श्रीजी की जमकर जय जयकार की। कार्यक्रमानुसार रविवार को इंद्र-इंद्राणी और प्रतिष्ठाचार्य की स्थापना भी हुई। दोपहर के स्वामी वात्सल्य के लाभार्थी आंचलिया परिवार सांवेर और संध्या के स्वामी वात्सल्य के लाभार्थी कुडाना, सांवेर और कजलाना का चौधरी जैन परिवार रहा। चौबीसी गान के लाभार्थी योगेंद्र जैन और प्रभु अंगरचना के लाभार्थी मुकेश जैन कटारिया रहे।
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