नागरिक आपूर्ति निगम की ओर से राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) द्वारा विभिन्न सहकारी संस्थाओं के माध्यम से सांवेर क्षेत्र में 20 स्थानों पर सोमवार से गेहूं का तौल अर्थात सरकारी खरीदी की तैयारी तो हो गई मगर खरीदी का काम नहीं हुआ क्योंकि एक को छोडक़र किसी भी खरीदी केंद्र पर किसान गेहूं लेकर ही नहीं पहंचे। जानकारी लेने पर पता चला कि सेवा सहकारी संस्था सांवेर के माध्यम से अर्पण वेयरहाउस तराना में चार ट्रॉली गेहूं आए। संस्था के प्रबंधक मांगीलाल भगत ने बताया कि संस्था की ओर से सोमवार को कुल 143 क्विंटल गेहूं का उपार्जन किया गया। क्षेत्र में हमेशा सर्वाधिक गेहूं उपार्जन करने वाली संस्था मार्केटिंग सोसायटी सांवेर के पास भी सोमवार को न तो सांवेर मंडी में, न ही चंद्रावतीगंज और मांगलिया उप मंडी (सायलो बरलाई) में कोई ट्रॉली समर्थन मूल्य पर गेहूं लेकर विक्रय करने पहुंची। अन्य 18 सरकारी खरीदी केंद्रों पर भी यही स्थिति रही।
नहीं आने का एक कारण: सांवेर क्षेत्र में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी सभी सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही करवाई जाना है। लेकिन पिछले हफ्तेभर से ज्यादा वक्त से तमाम सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी हड़ताल पर हैं इसलिए सरकारी खरीदी प्रभावित होना लाजिमी है, लेकिन इन संस्थाओं के प्रबंधक हड़ताल की वजह को गेहूं की आवक नहीं होना नहीं मानते बल्कि उनका तर्क है कि शासन ने इस बार खरीदी प्रकिया में बदलाव कर दिया है कि किसानों को मैसेज नहीं भेजे जाएंगे बल्कि किसानों को ही अब निर्धारित माध्यम से स्लाट बुक करवाना है चूंकि अधिकांश किसानों को इस बदलाव का पता ही नहीं है इस वजह से पहले दिन के लिए स्लाट बुक नहीं थे। जाहिर है इसी कारण गेहूं की आवक उपार्जन केंद्रों पर नहीं हुई।
दूसरा बड़ा कारण
मंडी भाव
सरकारी खरीदी केंद्रों पर पहले दिन गेहूं नहीं आने की बड़ी वजह मंडी में गेहूं का ऊंचा भाव ऊंचा मिलना है। सांवेर मंडी के सचिव पर्वतसिंह सिसौदिया की ओर से अरुण डाबी ने बताया कि सोमवार को मंडी में हल्के गेहूं भी 1851 रूपए प्रति क्विंटल की भाव बिके जबकि अच्छी किस्म और गुणवत्ता के गेहूं 2237 तक तथा औसत गुणवत्ता के गेहूं समर्थन मूल्य 2015 से ज्यादा 2031 के भाव बिके। जाहिर है इस स्थिति में किसान सरकारी उपार्जन केंद्र पर गेहूं लेकर क्यों जाएंगे। यही वजह रही कि सोमवार को सरकारी 20 खरीदी केंद्रों में से केवल एक केंद्र सांवेर के तराना में मात्र 143 क्विंटल गेहूं आया। इसके विपरीत सांवेर मंडी में सोमवार को 7 हजार क्विंटल, चंद्रावतीगंज उप मंडी में 2 हजार क्विंल से ज्यादा और व्यापारियों के निजी गोदामों पर 4 हजार क्विंटल से ज्यादा गेहूं आया।
नहीं आने का एक कारण: सांवेर क्षेत्र में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी सभी सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही करवाई जाना है। लेकिन पिछले हफ्तेभर से ज्यादा वक्त से तमाम सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी हड़ताल पर हैं इसलिए सरकारी खरीदी प्रभावित होना लाजिमी है, लेकिन इन संस्थाओं के प्रबंधक हड़ताल की वजह को गेहूं की आवक नहीं होना नहीं मानते बल्कि उनका तर्क है कि शासन ने इस बार खरीदी प्रकिया में बदलाव कर दिया है कि किसानों को मैसेज नहीं भेजे जाएंगे बल्कि किसानों को ही अब निर्धारित माध्यम से स्लाट बुक करवाना है चूंकि अधिकांश किसानों को इस बदलाव का पता ही नहीं है इस वजह से पहले दिन के लिए स्लाट बुक नहीं थे। जाहिर है इसी कारण गेहूं की आवक उपार्जन केंद्रों पर नहीं हुई।
दूसरा बड़ा कारण
मंडी भाव
सरकारी खरीदी केंद्रों पर पहले दिन गेहूं नहीं आने की बड़ी वजह मंडी में गेहूं का ऊंचा भाव ऊंचा मिलना है। सांवेर मंडी के सचिव पर्वतसिंह सिसौदिया की ओर से अरुण डाबी ने बताया कि सोमवार को मंडी में हल्के गेहूं भी 1851 रूपए प्रति क्विंटल की भाव बिके जबकि अच्छी किस्म और गुणवत्ता के गेहूं 2237 तक तथा औसत गुणवत्ता के गेहूं समर्थन मूल्य 2015 से ज्यादा 2031 के भाव बिके। जाहिर है इस स्थिति में किसान सरकारी उपार्जन केंद्र पर गेहूं लेकर क्यों जाएंगे। यही वजह रही कि सोमवार को सरकारी 20 खरीदी केंद्रों में से केवल एक केंद्र सांवेर के तराना में मात्र 143 क्विंटल गेहूं आया। इसके विपरीत सांवेर मंडी में सोमवार को 7 हजार क्विंटल, चंद्रावतीगंज उप मंडी में 2 हजार क्विंल से ज्यादा और व्यापारियों के निजी गोदामों पर 4 हजार क्विंटल से ज्यादा गेहूं आया।