पीथमपुर

जलसंकट: चार दिन में मिलता ४०० लीटर पानी

यहां पाइप लाइन नहीं डली है

पीथमपुरApr 27, 2022 / 12:38 am

Shailendra shirsath

जलसंकट: चार दिन में मिलता ४०० लीटर पानी

डॉ. आंबेडकर नगर (महू). अपै्रल शुरू होते ही भीषण गर्मी का दौर शुरू हो चुका है। छावनी परिषद की कुछ बस्तियों में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। स्थिति यह है कि तीन से चार दिन में एक परिवार को 400 लीटर पानी मिलता है। उसी में पूरे परिवार को गुजारा करना पड़ता है। दरअसल, छावनी परिषद के कुछ इलाकों में आज दिनांक तक नर्मदा लाइन नहीं पहुंच पाई है। जिसके चलते यहां सालभर बोरिंग और टैंकर के सहारे भी अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। गर्मी शुरू होते ही इनमें कुछ क्षेत्रों में पानी को लेकर संकट मंडराने लगा है। शहर से लगी लालजी की बस्ती, बंडा बस्ती, हैदराबादी बस्ती, सरवन मोहल्ला, पेंशनपुरा आदि हजारों की संख्या आबादी बसती है। बावजूद वर्षों बाद भी पीनी के लिए यहां पाइप लाइन नहीं डली है। हालांकि बंडाबस्ती में पाइप लाइन डाली गई थी, लेकिन यहां मोटर लगाकर पानी भरने और लाइन में टूट-फूट होने के कारण बंद कर दी गई। दिसंबर 2021 तक इन बस्तियों में टैंकर से ही पानी उपलब्ध कराया जाता है।
बंडाबस्ती में हर वर्ष की तरह इस बार भी अपै्रल आते ही पानी को लेकर हाहाकार मचने लगा है। परिषद यहां पानी के नाम पर खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं कर रहा है। यहां कर तीन-चौथे दिन पानी आ रहा है। हर एक घर को दो ड्रम पानी (400 लीटर) दिया जा रहा है। जो एक दिन में ही खत्म हो जाता है। इसके बाद रहवासी 2 से 4 किमी दूर से नर्मदा जल लेकर आते हंै। रहवासियों ने बताया कि बस्ती के कुछ क्षेत्रों में तो टैंकर पहुंच भी नहीं पाता है, ऐसे में वहां के रहने वाले लोगों को नीचे आकर पानी भरना पड़ता है। कई बोर्ड को शिकायत कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती।
तीन बोरिंग तीनों बंद
अब्दुल जब्बार ने बताया कि तीन से चार दिन में एक बार टैंकर आता और हर घर को 400 लीटर पानी दिया जाता है। लेकिन इतना पानी एक दो दिन में ही खत्म हो जाता है। इसके बाद यहां के लोग 2 से 4 किमी दूर से पानी लेकर आते हैं।
कुंए में डलता है पानी
हैदराबादी बस्ती में तीन कुएं हैं, जिनमें डिमांड आने पर परिषद द्वारा टैंकर से पानी डाला जाता है। इसी पानी को घरों तक पहुंचाया जाता है। लालजी बस्ती में तीन बोरिंग है। लेकिन इसका पानी सिर्फ उपयोग के लिए लिया जाता है। पेयजल के लिए परिषद के टैंकर आते हैं। लेकिन जरूरत लिहाज से पानी कम पहुंच पाता है। लिहाजा लोग कई किलोमीटर दूर-दूर से पेजयल लेकर आते हैं।
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