कोर्ट नहीं तो संसद से निकलेगा रास्ता?
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्विटर पर लिखा है कि पांच जजों की बेंच का यह फैसला कि मस्जिद इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है जिसे अब 7 जजों की बेंच को पुनर्विचार की जरूरत है। यदि फैसला नहीं में आता है तो हम राम मंदिर निर्माण के लिए बढ़ेंगे, लेकिन अगर फैसला हां में आता है तो हम संसद से इसका रास्ता निकालेंगे।
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सुना सकती है फैसला
बता दें कि राम जन्मभूमि मामले पर 28 सितंबर तक सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है, क्योंकि वरीयता सूची के मुताबिक 28 सितंबर को राम जन्मभूमि मामले पर फैसला सूचीबद्ध है। इससे पहले 20 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के 1994 के फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है या नहीं। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा भी दो अक्टूबर को सेवानिवृत हो जाएंगे। ऐसे में कयास लगाए जा रहा हैं कि फैसला खुद सीजेआई मिश्रा सुनाकर जाएंगे।
2010 में विवादित भूमि को बांटने का निर्णय
1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था, ताकि हिंदू पूजा कर सकें। पीठ ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए विवादित भूमि को एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को दिया था।