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राज्य के खजाने पर 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का बोझ
यही नहीं विधायकों को फरवरी 2018 से एरियर भी मिलेगा। वेतन में बढ़ोतरी की वजह से राज्य के खजाने पर 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का बोझ पड़ेगा। विधानसभा में बुधवार को सत्ता पक्ष व विपक्षी कांग्रेस विधायकों की सर्वसम्मति से पेश संशोधित विधेयक सिर्फ आधे घंटे में पारित कर दिया गया।
सरकारी कर्मचारियों के बरबर महंगाई भत्ता
विधेयक पेश करते हुए जडेजा ने कहा कि सभी विधायकों के वेतन और भत्ते में 2005 में संशोधन हुआ था। इसलिए राज्य सरकार ने विधायकों और मंत्री के वेतन में बढ़ोतरी का फैसला किया है। अब विधायकों की सैलरी उप सचिव को दिए जाने वाले मिनिमम बेसिक पे के बराबर होगा। इसके अलावा इस विधेयक में विधायकों को दिए जाने वाले कई भत्तों को खत्म कर दिया है और इनमें महंगाई भत्ते को शामिल किया गया है। अब विधायकों को सरकारी कर्मचारियों के बरबर महंगाई भत्ता मिलेगा।
लेकिन खास बात यह है कि दिनों-दिन बढ़ती महंगाई और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के बाद राज्य के सरकारी खजाने पर और बोझ पड़ेगा। लेकिन महंगाई के नाम पर बीजेपी को घेरने वाली कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर उसका समर्थन किया है। बता दें कि इस विधेयक को पास करने के लिए दोनों पार्टी के बीच एक हफ्ते पहले ही सहमती बन गई थी। विधेयक पेश होते ही इसे निर्विरोध पारित कर दिया गया।
विधायकों को और क्या मिलती है सुविधा
आपको बता दें कि विधायक को वेतन के अलावा डीजल खर्च,पर्सनल असिस्टेंट रखने,मोबाइल खर्ज,इलाज खर्च,सरकारी आवास में रहने,खाने पीने और अपने क्षेत्र में आने-जाने के लिए अलग से खर्च मिलता है। इसे आप उत्तर प्रदेश में विधायक को मिलने वाली सुविधा के रुप में समझ सकते हैं। यूपी में एक विधायक को वेतन के रूप में 75 हजार रुपया महीना मिलता है। इसमें उन्हें 24 हजार रुपए डीजल खर्च, 6000 पर्सनल असिस्टेंट रखने के लिए, मोबाइल के लिए 6000 रुपए और इलाज के लिए 6000 मिलता है। यहीं नही उन्हें आने-जाने के लिए अलग से पैसे मिलते हैं। इन सब को मिलाकर एक विधायक का मासिक वेतन 1.87 लाख रुपए है।
अन्य राज्यों में क्या है विधायकों की सैलरी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना देश का एक ऐसा राज्य है, जहां विधायकों को सबसे ज्यादा सैलरी मिलती है। वहीं , त्रिपुरा में विधायकों को सबसे कम तनख्वाह दी जाती है।
विधायकों की सैलरी-
तेलंगाना – 2.50 लाख
दिल्ली – 2.10 लाख
उत्तर प्रदेश – 1.87 लाख
महाराष्ट्र – 1.70 लाख
जम्मू-कश्मीर -1.60 लाख
उत्तराखंड- 1.60 लाख
आन्ध्र प्रदेश- 1.30 लाख
हिमाचल प्रदेश-1.25 लाख
राजस्थान- 1.25 लाखॉ
गोवा- 1.17 लाख
हरियाणा- 1.15 लाख
पंजाब- 1.14 लाख
झारखंड- 1.11 लाख
मध्य प्रदेश- 1.10 लाख
छत्तीसगढ़- 1.10 लाख
बिहार- 1.14 लाख
पश्चिम बंगाल- 1.13 लाख
तमिलनाडु – 1.05 लाख
कर्नाटक- 98 हजार
सिक्किम- 86.5 हजार
केरल- 70 हजार
गुजरात- 70 हजार
ओडिशा- 62 हजार
मेघालय- 59 हजार
पुदुचेरी- 50 हजार
अरुणाचल प्रदेश-49 हजार
मिजोरम- 47 हजार
असम- 42 हजार
मणिपुर- 37 हजार
नागालैंड- 36 हजार
त्रिपुरा- 34 हजार