जन लोकपाल विधेयक पर केजरीवाल सरकार लेगी केंद्र की राय
Published: May 31, 2015 08:27:00 pm
जन लोकपाल विधेयक दिल्ली विधानसभा में पेश करने
से पहले सलाह के लिए इसे केंद्र सरकार के पास भेजना चाहती है
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार भ्रष्टाचार-रोधी जन लोकपाल विधेयक दिल्ली विधानसभा में पेश करने से पहले सलाह के लिए इसे केंद्र सरकार के पास भेजना चाहती है। दिल्ली सरकार की इस पहल से केंद्र और राज्य सरकार के बीच अधिकारों को लेकर जारी “जंग” नरम पड़ने के आसार हैं। जन लोकपाल विधेयक पर केंद्र की राय मांगे जाने का मतलब है कि इस प्रक्रिया में कुछ देरी लगेगी, जिस कारण अगले महीने शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में इस विधेयक के पेश होने की संभावना कम ही है।
पिछले साल दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पारित नहीं हो पाने के कारण मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था। इस तरह दिल्ली में पहली बार बनी आप की सरकार 49 दिन ही चलसकी। दिल्ली में भारी बहुमत से बनी आप की सरकार ने 100 दिनों के भीतर 35 भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार करवाया है और 153 को निलंबित किया है।
केजरीवाल सरकार इस बार ऎसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे पहले की तरह कोई विवाद पैदा हो। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, “हम इस बार कोई जल्दबाजी नहीं चाहते। हम विधेयक का मसौदा पहले केंद्र को भेजेंगे। 2014 में पेश किए विधेयक में इस बार कुछ बदलाव किए गए हैं।”” पिछले साल फरवरी में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने असंवैधानिक करार देते हुए इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया था, क्योंकि यह केंद्र सरकार द्वारा पुनरीक्षित नहीं था।
एक अधिकारी ने बताया कि, अगर गृह मंत्रालय किसी सुधार का सुझाव देगा, तो यह वापस उपराज्यपाल के पास आएगा। इसके बाद जंग इसे लागू करने के लिए सरकार के पास भेजेंगे। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के जन लोकपाल विधेयक का मसौदा उत्तराखंड सरकार के लोकायुक्त विधेयक की तर्ज पर है। आप का जन लोकपाल विधेयक मुख्यमंत्री तक पर मुकदमा चलाने का अधिकार देगा और सुनिश्चित करेगा कि मुकदमे का फैसला छह महीनों के हो जाए।