कर्नाटक की जीत के बाद भी राहुल के सामने हैं चुनौतियां
इस बीच खबर ये भी है कि इस गठबंधन वाली सरकार में कैबिनेट को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन गई है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कांग्रेस के 22 और जेडीएस के 12 विधायकों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। भले ही कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने साथ मिलकर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने चुनौतियां तो अभी बाकि हैं, क्योंकि भाजपा को आने वाले चुनावों में रोकने के लिए और मिशन 2019 के लिए शायद हर बार किसी पार्टी का गठबंधन नहीं मिलेगा।
इस बीच खबर ये भी है कि इस गठबंधन वाली सरकार में कैबिनेट को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच सहमति बन गई है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कांग्रेस के 22 और जेडीएस के 12 विधायकों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। भले ही कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस ने साथ मिलकर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने चुनौतियां तो अभी बाकि हैं, क्योंकि भाजपा को आने वाले चुनावों में रोकने के लिए और मिशन 2019 के लिए शायद हर बार किसी पार्टी का गठबंधन नहीं मिलेगा।
ये चुनौती बढ़ा सकती है कांग्रेस की मुश्किलें
कर्नाटक में भले ही कांग्रेस सत्ता का हिस्सा रहेगी, लेकिन मुख्यमंत्री पद ना मिलने की टीस तो जरूर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सता रही होगी और सरकार बनने के बाद भी जो चुनौतियां कांग्रेस के सामने हैं वो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए चिंता का सबब बनी है। जिस चुनौती की यहां बात की जा रही है, वो ये है कि भले कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का हिस्सा रहेगी, लेकिन चुनावी नतीजों में 78 सीटें जीतकर पार्टी जेडीएस (38) से काफी आगे थी और फिर भी पार्टी जूनियर की भूमिका में रही है। ऐसे में मिशन 2019 के साथ आगे बढ़ रहे कांग्रेस हाईकमान भले ही यह तस्वीर रास आ जाए, लेकिन स्थानीय नेतृत्व और कांग्रेस विधायकों के लिए इसे पचा पाना उतना आसान नहीं होगा। ऐसी आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता कि पार्टी हाईकमान के इस फैसले से स्थानीय नेता और विधायक एकजुट रहेंगे।
कर्नाटक में भले ही कांग्रेस सत्ता का हिस्सा रहेगी, लेकिन मुख्यमंत्री पद ना मिलने की टीस तो जरूर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सता रही होगी और सरकार बनने के बाद भी जो चुनौतियां कांग्रेस के सामने हैं वो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए चिंता का सबब बनी है। जिस चुनौती की यहां बात की जा रही है, वो ये है कि भले कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का हिस्सा रहेगी, लेकिन चुनावी नतीजों में 78 सीटें जीतकर पार्टी जेडीएस (38) से काफी आगे थी और फिर भी पार्टी जूनियर की भूमिका में रही है। ऐसे में मिशन 2019 के साथ आगे बढ़ रहे कांग्रेस हाईकमान भले ही यह तस्वीर रास आ जाए, लेकिन स्थानीय नेतृत्व और कांग्रेस विधायकों के लिए इसे पचा पाना उतना आसान नहीं होगा। ऐसी आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता कि पार्टी हाईकमान के इस फैसले से स्थानीय नेता और विधायक एकजुट रहेंगे।