जावड़ेकर ( union minister prakash javadekar ) बोले कि बिचौलियों के दलाल की तरह काम कर रहा है विपक्ष।
कृषि कानूनों का महत्व समझाने को जावड़ेकर गोवा के दो दिवसीय दौरे पर।
उन्होंने कहा कुछ छोटे विरोध प्रदर्शन ठीक हैं क्योंकि भारत लोकतांत्रिक देश है।
Agricultural law: Javadekar targets opposition
पणजी। नए कृषि कानूनों पर जारी विरोध को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ( union minister prakash javadekar ) ने रविवार को कहा कि विपक्ष इन विधेयकों विरोध कर बिचौलियों की भूमिका निभा रहा है। जावड़ेकर ने दावा किया कि बेहतर उत्पादकता, अधिक निवेश, नई तकनीक, बेहतर बीज और कृषि उपज का अधिक निर्यात इन कानूनों का उद्देश्य है। एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि देश की करीब 60 फीसदी आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है। फिर भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान सिर्फ 10 से 15 फीसदी के आसपास था। इसमें सुधार की आवश्यकता थी।
अनलॉक 5.0 में दिल्ली के स्कूलों पर आप सरकार का नया फैसला, डिप्टी-सीएम मनीष सिसोदिया का ऐलान किसानों के समूहों को नए कृषि कानूनों का महत्व समझाने के लिए जावड़ेकर फिलहाल गोवा के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं। इस दौरान जावड़ेकर ने कहा, “केवल दलालों का नए कानूनों की वजह से नुकसान हुआ है। कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जहां किसान को कम कीमत मिलती है, उपभोक्ता को भुगतान ज्यादा करना पड़ता है। उत्पादन में कोई हाथ ना बंटाने वाले बिचौलिये सबसे ज्यादा कमाते हैं। वे (विपक्ष) चिल्ला रहे हैं क्योंकि बिचौलियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि विपक्ष बिचौलियों का दलाल बन गया है, जो कि एक मूल मुद्दा है।”
केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया, “किसानों ने इन नए बदलावों का स्वागत किया है। भविष्य में भी यही होगा और विपक्ष हारेगा। वे (विपक्ष) कुछ भी करने में सक्षम नहीं होंगे क्योंकि झूठ ज्यादा दिन नहीं टिकता है। सत्य कायम रहता है। हम सच्चाई के साथ हैं। विपक्ष झूठ के साथ खड़ा है।”
जावड़ेकर ने बताया कि अनुबंध खेती का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भूमि का स्वामित्व नहीं बदलेगा और केवल उगाई गई फसल (भूमि पर) ही अनुबंध का हिस्सा होगी। किसान अपनी फसल को अच्छे दाम पर बेच सकेंगे।
राहुल गांधी ने किसानों से कृषि विधेयक पर चर्चा के बाद कही उनके मन की बात कि उन्हें मोदी सरकार पर.. जावड़ेकर ने आगे कहा कि वैश्विक मानकों की तुलना में भारत में कृषि फसल आधी है। ऐसे में उत्पादकता में सुधार करना जरूरी है। यह केवल एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, नए बीजों और नए निवेश के साथ बेहतर होगा। इन कानूनों के चलते अब नया निवेश तेजी से आएगा। राजनीति करने के लिए विशेषकर पंजाब में नए कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है, लेकिन किसानों के अधिकांश समूह नए कानूनों के समर्थक हैं।
उन्होंने कहा, “किसान संगठन भी इन कानूनों के साथ हैं, देश में विरोध प्रदर्शन कहां हैं? केवल पंजाब में छोटे पैमाने पर हो रहे हैं और इसकी वजह वे (विपक्ष) वहां सत्ता में हैं। हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए कुछ छोटे छिटपुट विरोध ठीक हैं।”