– कश्मीर पर बड़े फैसले ले कर लागू कर चुके
– एनआरसी की गड़बड़ियों के बावजूद छवि में कोई नुकसान नहीं
– आक्रामक हिंदुत्व को खुल कर हवा दे रहे हैं
– पहली बार सरकार और पार्टी दोनों में निर्णायक
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मुकेश केजरीवाल
नई दिल्ली। “मोदी-मोदी” के नारे तो इस बार के चुनावों में भी लगेंगे, लेकिन यह पहला चुनाव है जब पार्टी को अमित शाह की लोकप्रियता से भी उतनी ही उम्मीद है। स्वतंत्र और समांतर छवि वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अब खासे लोकप्रिय भी हैं। ऐसे में कश्मीर संबंधी फैसलों के बाद सरदार पटेल सी मजबूत प्रशासक की छवि बना कर पार्टी उन्हें भविष्य के विकल्प के तौर पर भी अभी से पेश करेगी।
हरियाणा में 12, महाराष्ट्र में 20 रैलियां
राज्यों के चुनाव में भी कश्मीर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की तैयारी में पार्टी ने इस बार हरियाणा में शाह की 12 और महाराष्ट्र में 20 रैलियां आयोजित करने की तैयारी की है। हालांकि अभी उनके कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इससे पहले चुनावी रैलियों में मोदी के मुकाबले वे बहुत ही कम भीड़ खींच पाते थे।
भगवा छवि में भी योगी से आगे बढ़े
पार्टी की राज्य इकाइयों से आ रही मांग, कार्यकर्ताओं के फीडबैक और सोशल मीडिया के आकलन के आधार पर पार्टी का मानना है कि भगवा छवि में भी शाह अब सबसे ऊपर हैं। अब तक के चुनावों में पार्टी भगवा अपील के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरखनाथ मठ के प्रमुख योगी आदित्यनाथ पर भरोसा करती थी। प्रधानमंत्री के तौर पर जहां मोदी बयानों में संयम बरत रहे हैं, वहीं अब गृह मंत्री शाह इस लिहाज से खुल कर आगे बढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में उन्होंने हाल में मुसलमानों को अलग रख कर बयान भी दिया है।
समर्थकों की नजर में सरदार बने शाह
भाजपा समर्थकों में शाह की लोकप्रियता का ग्राफ पिछले कुछ महीनों में बहुत ऊंचा हो गया है। यहां तक कि समर्थक उनकी तुलना पहले गृह मंत्री सरदार पटेल से कर रहे हैं। पार्टी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि धारा 370 और 35ए को हटा कर कश्मीर का विलय वास्तविक अर्थों में अब पूरा हुआ है।
सरकार और संगठन दोनों संभाला
केंद्रीय गृह मंत्री बनने के बाद जेपी नड्डा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष तो बना दिया गया है, लेकिन अब भी सभी प्रमुख रणनीति और टिकट बंटवारे सहित सभी बड़े फैसले शाह ही करते हैं। सरकार में पहली बार आने के बावजूद गृह मंत्री बनने के साथ ही कैबिनेट समितियों और मंत्रियों के समूह यानी जीओएम में भी सबसे प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
उम्र का भी लाभ
पीएम मोदी की उम्र 69 साल हो चुकी है और अगले चुनाव में वे 74 साल के हो चुके होंगे। अमित शाह अभी सिर्फ 54 साल के हैं ऐसे में वे भविष्य के नेतृत्व के तौर पर भी पेश किए जा रहे हैं।