सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा , “11 महिला अधिकारियों को 10 दिनों की अवधि के भीतर स्थायी कमीशन दिया जाएगा। एएसजी का कहना है कि अधिकारी, जो अवमानना कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नहीं हैं, लेकिन मानदंडों को पूरा करती हैं, उन्हें भी तीन सप्ताह की अवधि के भीतर स्थायी कमीशन प्रदान किया जाए।” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेना को महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया 26 नवंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में केंद्र और रक्षा मंत्रालय की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता कर्नल आर. बालासुब्रमण्यम पेश हुए थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सेना भी इस मामले को अंतिम रूप देने के लिए उत्सुक है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि ‘72 अधिकारियों में से एक ने समय से पहले रिलीज के लिए आवेदन किया था, 39 ने पीसी के लिए आवेदन किया था और इसके फैसले के अनुपालन में 29 अक्टूबर, 2021 को एक पत्र जारी किया गया है।’
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘कुल 72 महिला अफसरों में से एक ने रिलीज मांगी है। 35 में से 21 याचिकाकर्ताओं को स्थानीय कमीशन मिला है जबकि 14 महिला अफसरों में मेडिकल में फेल हो गईं। 11 अफसरों को भी दस दिन के भीतर स्थायी कमीशन दे दिया जाएगा’। वहीं, जिन महिला अफसर ने कार्ट का रुख नहीं किया है पर योग्य हैं, उनको 20 दिन के भीतर स्थायी कमीशन दिया जाएगा।
बता दें कि न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ भारतीय सेना की 72 महिला अधिकारियों के आदेश पर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इन महिला अधिकारियों ने कोर्ट में दावा किया था कि उन्हें कोर्ट के मार्च के फैसले का उल्लंघन करते हुए परमानेंट कमीशन (पीसी) से वंचित कर दिया गया है। परमानेंट कमीशन (पीसी) का अर्थ सेना में रिटायरमेंट तक करियर है, जबकि शॉर्ट सर्विस कमीशन 10 साल के लिए होता है।
इसी वर्ष मार्च में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने सभी महिला अधिकारी जो 60% कट ऑफ, निर्दिष्ट चिकित्सा मानदंड और सतर्कता और अनुशासनात्मक मंजूरी को पूरा करती हैं, उन्हें परमानेंट कमीशन के लिए योग्य ठहराया था।