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पांच राज्यों के नतीजों के बीच एजीपी ने दी भाजपा को धमकी, तोड़ देंगे गठबंधन अगर…

locationनई दिल्लीPublished: Dec 11, 2018 03:37:52 pm

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को मिल रहे अप्रत्याशित नतीजों के बीच इस राज्य में भी पार्टी को खतरा हो गया है।

भाजपा

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नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को मिल रहे अप्रत्याशित नतीजों के बीच असम में भी पार्टी को खतरा हो गया है। असम सरकार में एनडीए गठबंधन के एक दल असम गण परिषद (एजीपी) ने भाजपा को गठबंधन भंग करने की धमकी दी है। सोमवार को एजीपी ने भाजपा अध्यक्ष को पत्र लिखकर यह घोषणा की।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एजीपी ने भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि अगर ‘अप्रिय’ नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को संसद में पास कराने की मंशा से ले जाया गया, तो वो गठबंधन छोड़ देंगे। मंगलवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है।
असम गण परिषद (एजीपी) के अध्यक्ष अतुल बोरा और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केसब महंत ने लिखा, “हम आपकी जानकारी में लाना चाहते हैं कि यदि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016, संसद में पारित किया गया, तो असम समझौते के प्रावधान और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर की चल रही तैयारी पूरी तरह से चौपट होगी और असमिया भाषा, संस्कृति, और जनसांख्यिकी बदल जाएगी,”
असम
शाह को लिखे पत्र में आगे कहा गया है, “यह उल्लेख करना उचित है कि एजीपी असम समझौते के प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसलिए हम कभी भी अप्रिय नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 का समर्थन नहीं कर सकते…।” उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो उनके पास मौजूदा गठबंधन से हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
वहीं, एजीपी के प्रवक्ता मनोज सैकिया ने मीडिया को बताया कि पार्टी गठबंधन में केवल इस आश्वासन से ही शामिल हुई थी कि सरकार असम समझौते को लागू करने के वादे पर पूरी तरह काम करेगी।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि पार्टी के बोरा, केसब महंता और फानी भूषन चौधरी भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री हैं। शाह को लिखे पत्र में महंता ने भी हस्ताक्षर किए हैं और इसमें यह भी लिखा हुआ है, “यह विश्वसनीय रूप से पता है कि संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष असम के स्वदेशी लोगों के विभिन्न संगठनों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन सहित हमारे विरोध के बावजूद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को संसद के समक्ष रखा जाना है।”

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