बजट सत्र से पहले सहयोगी दलों से मिले अमित शाह
Published: Feb 09, 2016 11:18:00 pm
बैठक में दलों ने सत्ताधारी दल को खरी खोटी सुनाने के साथ विभिन्न शिकायतें भी सामने रखीं
नई दिल्ली। बजट सत्र के शुरू होने से चंद दिनों पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दलों ने सत्ताधारी दल को यह कहते हुए चेतावनी दी है कि ‘हमें हल्के में नहीं लें।’ वहीं, अकाली दल ने सुझाव दिया है कि भाजपा का वर्तमान नेतृत्व सहयोगी दलों के साथ वैसा ही बर्ताव करे, जैसा अटल बिहारी वाजपेयी किया करते थे। भाजपा ने 23 फरवरी को शुरू हो रहे अहम बजट सत्र से पहले सोमवार को सहयोगी दलों के साथ एक बैठक की थी। बैठक में दलों ने सत्ताधारी दल को खरी खोटी सुनाने के साथ विभिन्न शिकायतें भी सामने रखीं।
एनडीए की इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडु सहित अन्य सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा
लिया। बैठक में बादल ने कहा कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को गंभीरता से नहीं ले रही है। सत्ताधारी दल को अपने सहयोगी दलों को उसी तरह सुनना चाहिए जिस तरह एनडीए का प्रमुख होते हुए अटल बिहारी वाजपेयी सुना करते थे।
पंजाब के उपमुख्यमंत्री बादल ने और कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि भाजपा के साथ न ही ईसाई और न ही मुस्लिम समुदाय के लोग उसके साथ हैं। तो अब पार्टी सिख समुदाय के लोगों को अपने से दूर करने की कोशिश कर रही है
जिन्होंने हमेशा उसका समर्थन किया है। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
महाराष्ट्र में कुछ समय से भाजपा और शिव सेना के संबंधों में भी उठापठक चल रही है। बैठक में शिव सेना ने भी मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा पर निशाना साधा। पार्टी की ओर से बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे संजय राउत ने कहा, सूत्रों के मुताबिक, भाजपा का पिछले 20 महीनों में यह रुख रहा है कि किस तरह सहयोगी दलों को नीचा दिखाया जाए।
तेदेपा प्रमुख आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु ने बैठक में सलाह देते हुए कहा कि भाजपा को अपने सहयोगी दलों को मजबूत करना होगा। उल्लेखनीय है कि सहयोगी दलों के साथ बनती-बिगड़ती बात के बीच भाजपा ने इस बैठक का आयोजन किया था। सहयोगी दलों की शिकायत के बाद अब भाजपा ने नियमत रूप से इस तरह की बैठकों का आयोजन करने का फैसला किया है। 23 तारीख को शुरू हो रहे बजट में भाजपा नहीं चाहेगी कि उसके सहयोगी दल नाराज होकर सत्र में हिस्सा लें। विपक्षी दल पहले से ही भाजपा पर आए दिन हमले कर रहे हैं।