प्रणव मुखर्जी भी कर चुके हैं वकालत
हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है जिसकी वकालत पूर्व पीएम वाजपेयी करते रहे हैं। ये बात अलग है कि इसकी वकालत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी भी कर चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने बजट अभिभाषण में इस बात को खुलकर रखा था। बजट अभिभाषण के दौरान उन्होंने एनडीए सरकार की पिछले चार साल की उपलब्धियां गिनाते हुए पीएम मोदी की लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने की बात दोहराई थी। राष्ट्रपति ने एक साथ चुनाव की वकालत करते हुए कहा था कि हर समय चुनाव का असर विकास पर पड़ता है।
हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है जिसकी वकालत पूर्व पीएम वाजपेयी करते रहे हैं। ये बात अलग है कि इसकी वकालत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी भी कर चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने बजट अभिभाषण में इस बात को खुलकर रखा था। बजट अभिभाषण के दौरान उन्होंने एनडीए सरकार की पिछले चार साल की उपलब्धियां गिनाते हुए पीएम मोदी की लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने की बात दोहराई थी। राष्ट्रपति ने एक साथ चुनाव की वकालत करते हुए कहा था कि हर समय चुनाव का असर विकास पर पड़ता है।
अटल ने कराया था समय से पहले चुनाव
2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने भी समय से पहले लोकसभा चुनाव कराया था। हालांकि इंडिया शाइनिंग के उस दौर में भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। अब एक बार फिर देश की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी अटल की राह पर कदम बढ़ाने के मूड में नजर आ रहे हैं। अब खुद मोदी ने कुछ समय से इसकी पुरजोर वकालत करते आ रहे हैं। पीएम मोदी का तर्क है कि भारत जैसे विशाल देश में हर समय किसी न किसी प्रदेश में चुनाव चल रहे होते हैं और आचार संहिता लगी होती है जिसके चलते विकास के काम रुक जाते हैं। इसके अलावा केंद्र व राज्य के अलग-अलग चुनाव कराने से संसाधनों का भी काफी खर्च होता है जिसे बचाया जा सकता है।
2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने भी समय से पहले लोकसभा चुनाव कराया था। हालांकि इंडिया शाइनिंग के उस दौर में भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। अब एक बार फिर देश की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी अटल की राह पर कदम बढ़ाने के मूड में नजर आ रहे हैं। अब खुद मोदी ने कुछ समय से इसकी पुरजोर वकालत करते आ रहे हैं। पीएम मोदी का तर्क है कि भारत जैसे विशाल देश में हर समय किसी न किसी प्रदेश में चुनाव चल रहे होते हैं और आचार संहिता लगी होती है जिसके चलते विकास के काम रुक जाते हैं। इसके अलावा केंद्र व राज्य के अलग-अलग चुनाव कराने से संसाधनों का भी काफी खर्च होता है जिसे बचाया जा सकता है।
कहां-कहां हो सकता है एक साथ चुनाव
इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं 2019 में आंध्र प्रदेश, अरुणांचल, उड़ीसा, सिक्किम, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और झारखंड के विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विपक्षी दलों को लगता है कि नरेंद्र मोदी अपनी रणनीति से एक बार फिर विपक्ष को चौंका सकते हैं और केंद्र के चुनाव भी इन राज्यों के साथ कराकर अपने खिलाफ किसी बड़े माहौल के बनने से पहले ही जीत हासिल कर दोबारा सत्ता का काबिज होने का दांव चल सकते हैं।
इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं 2019 में आंध्र प्रदेश, अरुणांचल, उड़ीसा, सिक्किम, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और झारखंड के विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विपक्षी दलों को लगता है कि नरेंद्र मोदी अपनी रणनीति से एक बार फिर विपक्ष को चौंका सकते हैं और केंद्र के चुनाव भी इन राज्यों के साथ कराकर अपने खिलाफ किसी बड़े माहौल के बनने से पहले ही जीत हासिल कर दोबारा सत्ता का काबिज होने का दांव चल सकते हैं।