अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन कानून के खिलाफ सवर्णों के संगठनों के आंदोलन को लेकर कांग्रेस ऊहापोह की स्थिति में है। पार्टी न तो सवर्णों के बंद के समर्थन में खड़ी नजर आना चाहती है और न ही वह इसके विरोध में है। पार्टी को इस बात की आशंका है कि किसी भी तरफ पलडा झुकाने से सियासी तौर पर नुकसान की आशंका है। कांग्रेस पार्टी के अंदर एक तबका है, जो यह मानता है कि एससी/एसटी कानून का दुरुपयोग भी किया जाता है। जबकि दूसरा तबका इसके विरोध में है। इसलिए राहुल गांधी अंतिम निर्णय नहीं ले पा रहे हैं और बीच मझदार में फंसे हुए हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ हद तक सवर्ण संगठनों की मांग सही है। एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग होता है। सियासी नफा नुकसान को देखते हुए कोई भी दल इस मुद्दे को नहीं उठाएगी। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि समाज के हर वर्ग को शांतिपूर्ण तरीके से अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है। चूंकि बेचैनी का माहौल है और इसके लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
कांग्रेस के कई नेता इस राय से इत्तेफाक करते हैं कि एससी/एसटी संशोधन कानून को लेकर समाज के एक बड़े तबके में नाराजगी है। इस नाराजगी की वजह पिछले वर्षों में एससी/एसटी कानून के दुरुपयोग को लेकर है। वह मानते हैं कि एससी/एसटी संशोधन ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने से पहले मामले की जांच करने में कोई बुराई नहीं है। पर इस मामले में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को भरोसे में लेकर कोई रास्ता निकाला जाए।