राजनीति

भारत बंद: सवर्णों को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस भी ऊहापोह में, आंदोलन को खुलकर नहीं दिया समर्थन

किसी भी राजनीतिक दल ने एससी-एसटी आंदोलन की तरह सवर्ण आंदोलन का खुलकर समर्थन नहीं दिया।

Sep 06, 2018 / 01:32 pm

Dhirendra

भारत बंद: सवर्णों को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस भी ऊहापोह में, आंदोलन को खुलकर नहीं दिया समर्थन

नई दिल्‍ली। लोकसभा चुनाव से पहले देश में जातीय आंदोलन चरम पर है। लेकिन एससी-एसटी एक्‍ट के विरोध में सवर्णों के आंदोलन को खुलकर समर्थन देने के लिए एक भी राजनीतिक दल सामने नहीं आना चिंताजनक स्थिति है। जहां मोदी सरकार सवर्ण आंदोलन के निशाने पर है, वहीं कांग्रेस भी इस मुद्दे भ्रम की स्थिति में है। विपक्षी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस फूंक फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है। हालांकि कांग्रेस ने किसी भी समुदाय के साथ अन्‍याय न होने देने की बातें कही हैं। लेकिन पार्टी ने एससी-एसटी आंदोलन की तरह इस आंदोलन का खुलकर समर्थन नहीं किया है।
नुकसान की आशंका
अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन कानून के खिलाफ सवर्णों के संगठनों के आंदोलन को लेकर कांग्रेस ऊहापोह की स्थिति में है। पार्टी न तो सवर्णों के बंद के समर्थन में खड़ी नजर आना चाहती है और न ही वह इसके विरोध में है। पार्टी को इस बात की आशंका है कि किसी भी तरफ पलडा झुकाने से सियासी तौर पर नुकसान की आशंका है। कांग्रेस पार्टी के अंदर एक तबका है, जो यह मानता है कि एससी/एसटी कानून का दुरुपयोग भी किया जाता है। जबकि दूसरा तबका इसके विरोध में है। इसलिए राहुल गांधी अंतिम निर्णय नहीं ले पा रहे हैं और बीच मझदार में फंसे हुए हैं।
केंद्र सरकार जिम्‍मेदार
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ हद तक सवर्ण संगठनों की मांग सही है। एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग होता है। सियासी नफा नुकसान को देखते हुए कोई भी दल इस मुद्दे को नहीं उठाएगी। हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि समाज के हर वर्ग को शांतिपूर्ण तरीके से अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है। चूंकि बेचैनी का माहौल है और इसके लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
गिरफ्तारी से पहले मामले की जांच में बुराई नहीं
कांग्रेस के कई नेता इस राय से इत्तेफाक करते हैं कि एससी/एसटी संशोधन कानून को लेकर समाज के एक बड़े तबके में नाराजगी है। इस नाराजगी की वजह पिछले वर्षों में एससी/एसटी कानून के दुरुपयोग को लेकर है। वह मानते हैं कि एससी/एसटी संशोधन ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने से पहले मामले की जांच करने में कोई बुराई नहीं है। पर इस मामले में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को भरोसे में लेकर कोई रास्ता निकाला जाए।

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