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लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने चला बड़ा दांव, आरक्षण पर मोदी सरकार से की नई मांग

locationनई दिल्लीPublished: Jan 25, 2019 10:34:22 am

लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने चला बड़ा दांव, आरक्षण पर मोदी सरकार से की नई मांग

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लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने चला बड़ा दांव, आरक्षण पर मोदी सरकार के की नई मांग

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने अपने-अपने पिटारे खोल दिेए कोई बांटने में लगा तो कोई बंटोरने में। मकसद सभी का एक ही है वोट बैंक को लुभाना। इस कड़ी में भला बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी नीतीश कुमार कैसे पीछे रह सकते हैं। आम चुनाव की आहट और पीएम मोदी के बिहार आने से पहले ही उन्होंने चुनावी मांग का पेंच फंसा दिया है। एक तरफ जहां केंद्र सरकार ने सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए बिल को संसद में पास कराया तो अब सीएम साहब ने ने एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर नई बहस छेड़ दी है। नीतीश कुमार ने एससी और एसटी वर्ग के आरक्षण की फिर से समीक्षा किए जाने की मांग की है। नीतीश कुमार ने कहा कि इन वर्ग के आरक्षण को फिर से बढ़ाए जाने की जरूरत है।
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हमारे पास 1931 का आंकड़ा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि SC, ST और OBC वर्ग की आबादी लगातार पिछले समय में बढ़ी है लेकिन इनको दिए जाने वाले आरक्षण सिर्फ 50 फीसदी ही है। इस वर्ग का आंकड़ा हमारे पास सिर्फ 1931 का है। ऐसे में इस परिस्थिति में जरूरत है कि जातिगत जनगणना की जाए जिससे कि इस वर्ग की समस्या का समाधान किया जा सके।
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कर्पूरी ठाकुर का बहाना, मकसद वोटरों को लुभाना
नीतीश कुमार ने एक बार फिर बड़ा दांव चला है भले ही उनका बहाना कुछ और है लेकिन मकसद वोटरों को लुभाना ही है। नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत जनगणना से इन तीनों ही वर्ग की समस्या का फिर से बेहतर आंकलन किया जा सकता है और इसका समाधान किया जा सकता है।
बिहार में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के आरक्षण की बात करते हुए नीतीश कुमार ने कर्पूरी ठाकुर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिहार में आरक्षण कर्पूरी ठाकुर की ओर से दिया गया था, उन्होंने ही पिछड़ा वर्ग को दो श्रेणी में बांटा था, एक वर्ग अति पिछड़ा था और दूसरा पिछड़ा। केंद्र सरकार से नीतीश कुमार ने मांग की है कि हम चाहते हैं कि इसी तरह से एक बार फिर वर्गीकरण किया जाए और लोगों को आरक्षण दिया जाए।
एक तीर से दो निशाने
कुल मिलाकर नीतिश कुमार ने चुनाव से पहले मोदी सरकार के सामने आरक्षण को लेकर एक और पेंच फंसा दिया है। अपने इस दांव के चलते सीएम ने न सिर्फ वोट बैंक को लुभाने की कोशिश की है बल्कि एनडीए में अपनी अहमियत भी स्पष्ट कर दी है। आपको बता दें कि पीएम मोदी 3 मार्च को बिहार के दौरे पर रहे हैं। बताया जा रहा है कि करीब नौ साल बाद मोदी और नीतीश कुमार एक मंच साझा करेंगे।

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