सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सीकरी ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि भाजपा सरकार कल शाम चार बजे तक सदन में विश्वास प्रस्ताव रखे। सीएम येदियुरप्पा सदन में बहुमत साबित करें। बहुमत प्रस्ताव पेश करने के लिए सभी नियमों का पालन प्रदेश सरकार को पालन करना होगा। प्रोटेम स्पीकर का चुनाव विधायी नियमों के अनुरूप हो। इतना ही नहीं कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को पूरी सुरक्षा मिले। येदियुरप्पा सरकार बहुमत साबित होने तक कोई भी नीतिगत फैसला न ले। इस तरह से अदालत ने भाजपा के तर्क को नहीं माना और पूरी तरह से उसके अनुरोध को खारिज कर दिया। राज्यपाल की भूमिका को लेकर अदालत ने सुनवाई की तिथि दस हफ्ते बाद की तय की है। अदालत के फैसले में इस बात का भी जिक्र है कि विश्वास मत हासिल करने से पहले किसी भी एंग्लो इंडियन विधायक को नामित नहीं किया जा सकता है।
इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा की सरकार सदन में बहुमत साबित करने के लिए तैयार है। भाजपा सरकार न केवल सदन में बहुत साबित करेगी बल्कि कांग्रेस और जेडीएस के विधायक भी उसका समर्थन करेंगे। रोहतगी के इस दलील के जवाब में शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्यों न कल ही विधानसभा में बहुमत परीक्षण करा दें। जस्टिस सीकरी ने भाजपा के वकील रोहतगी से साफ कर दिया या तो आप कानून का पालन कराएं या कल विधानसभा में येदियुरप्पा सरकार बहुमत हासिल करे। इस पर रोहतगी ने अदालत से बहुमत साबित करने के लिए एक सप्ताह समय देने की मांग की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी द्वारा अदालत में अपना पक्ष रखने के बाद कांग्रेस और जेडीएस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रोहतगी के तर्क का कड़ा विरोध किया। उन्होंने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बहुमत के लिए 15 दिन या एक सप्ताह क्यों? राज्यपाल ने किस आधार पर येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। उन्हें भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का अधिकार नहीं है। यहां तक कि राज्यपाल बहुमत साबित करने के लिए भी नहीं कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा सरकार आज ही बहुमत साबित करे। साथ ही उन्होंने कांग्रेस और जेडीएस विधायक को सुरक्षा मुहैया कराने, प्रोटेम स्पीकर को नियमानुसार नियुक्त करने और बहुमत से पहले एंग्लो इंडियन विधायक नियुक्त न करने का आदेश देने का भी अनुरोध अदालत किया। सिंघवी के इस अनुरोध को अदालत ने स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार को सभी नियमों का पालन करने के निर्देश दिए हैं।