जेडीयू के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में रविवार को जेडीयू के वरिष्ठ पदाधिकारियों की हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने बताया, ‘समाजवादी आंदोलन की विरासत के सवाल हैं, चाहे धारा 377 हो, यूनिफार्म सिविल कोड हो या फिर रामजन्म भूमि विवाद, पार्टी अपने पुराने स्टैंड पर कायम है।’ साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जेडीयू राज्यसभा में असम नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करेगी।
विधेयक के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। अब तक सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। विरोध में कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और जातियताबंदी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) के प्रदर्शनकारी खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं। रविवार को कार्बी आंगलांग जिले में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने एनएच-36 को कुछ घंटे तक जाम रखा। गोलपाड़ा के दुधोनी में एनएच-37 पर जोगी और कलिता समुदाय के लोगों ने नागरिकता विधेयक की कॉपियां जलाईं।
यह विधेयक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाइयों को, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत आए हैं, या जिनके वैध दस्तावेजों की समय सीमा हाल के सालों में खत्म हो गई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है। यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के छह गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रावधान करता है।
इस विधेयक को लेकर असम में बड़ा बबाल मचा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की ओर से इसपर लोकसभा में रिपोर्ट पेश किए जाने के तुरंत बाद विधेयक को मंजूरी दे दी। उसके बाद लोकसभा में भी यह विधेयक पारित हो चुका है। राज्यसभा में इसे पास किया जाना बाकी है। शीत सत्र में यह पास तो नहीं हो सका लेकिन आगामी बजट सत्र में इसके पारित होने की संभावना है।