भाजपा ने शिवसेना को दे दी तलाक लेने की चुनौती
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार निशाना बना रही शिवसेना पर भाजपा ने
पलटवार किया है। भाजपा ने शिवसेना को तलाक लेने की चुनौती दे दी है
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार निशाना बना रही शिवसेना पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा ने शिवसेना को तलाक लेने की चुनौती दे दी है। भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रकाशन मनोगत में पार्टी के प्रवक्ता माधव भंडारी ने लेख लिखा है। आप तलाक कब ले रहे हैं, श्रीमान राउत शीषर्क से लिखे लेख में शिवसेना को गठबंधन से अलग होने की चुनौती दी गई है।
लेख में दोनों दलों के सालों पुराने गठबंधन में भाजपा की ओर से किए गए त्याग का उल्लेख है। लेख में नाम लिए बगैर शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे पर हमला बोला गया है। लेख में कहा गया है कि पार्टी प्रमुख को डर है कि कहीं तलाक का फैसला लिया तो उनके पीछे कोई विधायक नहीं रहेगा। सामना के संपादक और सांसद संजय राउत ने हाल ही में केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार की तुलना निजाम के बाप से की थी। इसी बयान पर आपत्ति जताते हुए लिखा गया कि वे उसी निजाम की प्लेट में दी गई बिरियानी खा रहे हैं। उनको केन्द्र और राज्य में मंत्रालय मिले हुए हैं। उसी निजाम की मदद से सत्ता का सुख भोग रहे हैं और भाजपा को बुरा भला कहते हैं। इसे कृतघ्नता कहते हैं। अगर वे निजाम से इतने पीडित महसूस करते हैं तो बाहर क्यों नहीं निकल जाते। परंतु वे साहस नहीं दिखाते। वे हमारे साथ बैठते हैं, हमारे साथ खाते हैं और हम पर ही हमले करते हैं। बेहतर होगा कि निजाम के पिता से तलाक ले लिया जाए, इसलिए श्रीमान राउत आप तलाक कब ले रहे हैं।
1995 में भाजपा ने 117 सीटों पर चुनाव लड़ा और 65 जीती। 2009 में कम सीटों पर चुनाव लडऩे के बावजूद भाजपा ने शिवसेना से अधिक सीटें जीती। संजय राउत और शिवसेना प्रमुख इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनकी ताकत कम हो रही है, इसलिए वे परेशान हैं। उनको बदले राजनीतिक हालात को स्वीकार करना चाहिए और हमें जिम्मेदार ठहराना बंद करना चाहिए। हमने औरंगाबाद और कल्याण डोंबीवली चुनावों में शिवसेना को पीछे छोड़ दिया।
मतदाता भाजपा को मजबूत विकल्प के तौर पर मान रहे हैं और यही शिवसेना को सबसे ज्यादा चुभ रहा है। भाजपा ने कई त्याग किए जैसे उसने अतीत में पुणे, ठाणे और गुहागढ़ जैसे क्षेत्रों को शिवसेना के लिए छोड़ दिया जबकि इन जगहों से भाजपा चुनाव जीतती थी। अपने लेख का बचाव करते हुए भंडारी ने कहा कि पहले हम ऐसी चीजों को नजरअंदाज कर दिया करते थे लेकिन अब उन्होंने विनम्रता की सारी सीमाएं लांघ दी है। हमारे हालिया राज्य सम्मेलन में इस पर चर्चा हुई थी। अब हम उनको सीधे तौर पर बताना चाहते हैं कि अगर उन्हें ठीक नहीं लगता तो वे अपना खुद रास्ता तलाश लें।
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