नरोदा पाटिया जनसंहार
गुजरात उच्च न्यायालय ने वर्ष 2002 के बहुचर्चित नरोदा पाटिया जनसंहार मामले में शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। अदालत ने हालांकि बजरंग दल के कार्यकर्ता बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा है। छह वर्ष पहले निचली अदालत ने इस जनसंहार के लिए गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए 28 वर्ष की सजा सुनाई थी। इस घटना में 97 लोगों की मौत हुई थी। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया की खंड पीठ ने माया को बरी करते हुए कहा कि अपराध स्थल पर उनके मौजूद होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं। भारी भीड़ ने कुछ घंटों तक लोगों का अंधाधुंध कत्लेआम किया था। वर्ष 2012 में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) की एक अदालत ने कहा था कि ‘उचित संदेह से परे’ माया कोडनानी घटनास्थल पर मौजूद थीं, जहां उन्मादी भीड़ ने मुस्लिमों पर हमला कर अपराध को अंजाम दिया था। माया पेशे से डॉक्टर हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सितंबर, 2017 को अपने बयान में कहा था कि उन्होंने माया को 28 फरवरी, 2002 (घटना के दिन) को विधानसभा में पहली बार साढ़े आठ बजे और एक बार फिर पूर्वाह्न् 11 बजे देखा था।