बिल का श्रेय लेना चाहती है मोदी सरकार
इस बिल को भाजपा काफी गंभीरता से लेकर चल रही है। सरकार इस बिल पर विपक्ष को माइलेज लेने का एक भी अवसर नहीं देना चाहती है। अगर आज तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो संशोधन पर मंजूरी के लिए वापस इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस बिल को लेकर सरकार की मंशा श्रेय लेने की है। ताकि 2019 के चुनावों में इसे भुनाया जा सके।
इस बिल को भाजपा काफी गंभीरता से लेकर चल रही है। सरकार इस बिल पर विपक्ष को माइलेज लेने का एक भी अवसर नहीं देना चाहती है। अगर आज तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो संशोधन पर मंजूरी के लिए वापस इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस बिल को लेकर सरकार की मंशा श्रेय लेने की है। ताकि 2019 के चुनावों में इसे भुनाया जा सके।
विपक्ष नहीं चाहता बिल पास हो
भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया रहतकर ने महागठबंधन के नेताओं पर ट्रिपल तलाक पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। मोदी सरकार तीन तलाक पर संसद में बिल लेकर आई है लेकिन विपक्षी दलों के दोहरे रवैये के कारण यह पारित नहीं हो पाया है। यही कारण है कि मोदी सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद यह बिल अभी तक पास नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है और इसके लिए भाजपा को विपक्षी पाट्रियों से सट्रिफिकेट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां नहीं चाहती कि ट्रिपल तलाक बिल पास हो।
भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया रहतकर ने महागठबंधन के नेताओं पर ट्रिपल तलाक पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। मोदी सरकार तीन तलाक पर संसद में बिल लेकर आई है लेकिन विपक्षी दलों के दोहरे रवैये के कारण यह पारित नहीं हो पाया है। यही कारण है कि मोदी सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद यह बिल अभी तक पास नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है और इसके लिए भाजपा को विपक्षी पाट्रियों से सट्रिफिकेट की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियां नहीं चाहती कि ट्रिपल तलाक बिल पास हो।
एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी
आपको बता दें कि दिसंबर में लोकसभा में तीन तलाक पर विधेयक पास कर इसे अपराध घोषित कर दिया गया था। लेकिन इस विधेयक पर विपक्षी दलों के सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, जिसे सदन ने खारिज कर दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को तीन तलाक के दोषी व्यक्ति को जमानत देने के प्रावधान को विधेयक में जोड़ने की मंजूरी दी है। संशोधित बिल के प्रावधानों के अनुसार अब एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी बना रहेगा। इसके लिए पति को तीन वर्ष की जेल की सजा हो सकती है। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को लोकसभा ने बजट सत्र दो के दौरान ही मंजूरी दे दी थी। लेकिन यह राज्यसभा में अभी तक पास नहीं हो पाया है। विपक्षी दलों की मांग की मांग थी कि एक इस विधेयक में दोषियों के लिए जमानत का प्रावधान होना चाहिए। विपक्ष के इस मांग को मद्देनजर कैबिनेट ने मूल विधेयक में संशोधन करते हुए मजिस्ट्रेट को इस मामले में जमानत देने का अधिकार दे दिया है।
आपको बता दें कि दिसंबर में लोकसभा में तीन तलाक पर विधेयक पास कर इसे अपराध घोषित कर दिया गया था। लेकिन इस विधेयक पर विपक्षी दलों के सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, जिसे सदन ने खारिज कर दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को तीन तलाक के दोषी व्यक्ति को जमानत देने के प्रावधान को विधेयक में जोड़ने की मंजूरी दी है। संशोधित बिल के प्रावधानों के अनुसार अब एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी बना रहेगा। इसके लिए पति को तीन वर्ष की जेल की सजा हो सकती है। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को लोकसभा ने बजट सत्र दो के दौरान ही मंजूरी दे दी थी। लेकिन यह राज्यसभा में अभी तक पास नहीं हो पाया है। विपक्षी दलों की मांग की मांग थी कि एक इस विधेयक में दोषियों के लिए जमानत का प्रावधान होना चाहिए। विपक्ष के इस मांग को मद्देनजर कैबिनेट ने मूल विधेयक में संशोधन करते हुए मजिस्ट्रेट को इस मामले में जमानत देने का अधिकार दे दिया है।
गुजारे भत्ते की मांग कानूनी
ट्रिपल तलाक बिल के प्रावधानों के अनुसा कानून केवल तलाक ए बिद्दत पर ही लागू होगा। इसके तहत पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे भत्ते की मांग को लेकर मजिस्ट्रेट के पास जा सकती है। पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से बच्चों को अपने संरक्षण में रखने की मांग कर सकती है। इस मुद्दे पर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट लेगा।
ट्रिपल तलाक बिल के प्रावधानों के अनुसा कानून केवल तलाक ए बिद्दत पर ही लागू होगा। इसके तहत पीड़ित महिला अपने और अपने नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे भत्ते की मांग को लेकर मजिस्ट्रेट के पास जा सकती है। पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से बच्चों को अपने संरक्षण में रखने की मांग कर सकती है। इस मुद्दे पर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट लेगा।