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इस बीच मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह के सलाहकार रजत सेठी ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस ने जो योजना बनाई थी, वो काम नहीं आ सकी। रजत सेठी एक ट्वीट में कहा कि भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने सदन में विश्वास हासिल कर लिया। मुख्यमंत्री को बधाई।” आपको बता दें कि मुख्यमंत्री द्वारा ट्रांसफर किए गए विश्वास प्रस्ताव पर फैसले के लिए सोमवार को मणिपुर विधानसभा का महत्वपूर्ण सत्र बुलाया गया था। वहीं, मणिपुर में विपक्षी दल कांग्रेस के प्रवक्ता निंगोबम बूपेंडा मेइती अपनी पार्टी का पक्ष रहा। उन्होंने कहा कि मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस द्वारा पारित अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करने के बजाय, भाजपा सरकार द्वारा स्थानांतरित विश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
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गौरतलब है कि मणिपुर में सत्ताधारी गठबंधन और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सोमवार को विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में उपस्थित रहने के लिए अपने सदस्यों को के लिए अलग-अलग व्हिप जारी किए थे। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने सदन में जैसे ही विश्वास मत जीता तो लंबे समय तक काफी शोर शराबा होता रहा है। दरअसल,चार सदस्यीय नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), तृणमूल कांग्रेस के इकलौते विधायक और एक निर्दलीय विधायक द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद मणिपुर सरकार 17 जून को एक गंभीर सियासी संकट में फंस गई थी। वहीं, इस बीच भाजपा के तीन विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बावजूद इसके राज्य में भाजपा नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार सोमवार को अपनी कुर्सी बचाने में कामयाबी साबित हुई।