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नेहरू नहीं साहिबजादों की शहादत पर मनाया जाए बाल दिवस, बीजेपी की मुहिम

Published: Apr 07, 2018 11:20:39 am

Submitted by:

Chandra Prakash

बीजेपी ने सलाह दी कि 14 नवंबर को अगर नेहरू जी का जन्मदिन मनाना ही है तो उसे ‘चाचा दिवस’ के रुप में मनाया जाए।

Shift Children's Day
नई दिल्ली। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम बदलने पर विवाद अभी थमा भी नहीं है कि बीजेपी सांसदों ने एक नई मांग शुरू कर दी है। दिल्ली बीजेपी के सांसदों ने कहा है कि बाल दिवस (14 नवंबर) प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर नहीं बल्कि 26 नवंबर को मनाना चाहिए। इसे लेकर अभियान शुरू करने की भी बात कही जा रही है।
चार साहिबजादों के नाम पर हो बाल दिवस
बाल दिवस की तारीख बदलने के पीछे बीजेपी सांसदों की दलील है कि 26 नवंबर को सिख गुरू गोविंद सिंह के चार बेटों की मुगलों ने हत्या कर दी थी। उनकी शहादत दुनिया के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। ऐसे में अगर बाल दिवस 26 नवंबर को मनाए जाएगा तो बच्चे प्रेरित होंगे।
राष्ट्र स्तर पर जाएगी मुहिम
दिल्ली बीजेपी के छह सांसद गुरू गोविंद सिंह के चार साहिबजादों के नाम पर बाल दिवस मनाने का प्रस्ताव लाए है। सांसदों के इस प्रस्ताव को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से भी मंजूरी मिली है। बीजेपी का दावा का है कि वो इस कैंपेन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे।
पीएम मोदी को भेजेंगे प्रस्ताव
दिल्ली कमेटी के जनरल सेक्रेटरी मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि बाल दिवस को चार साहिबजादों के नाम पर मनाने के लिए अबतक 60 सांसदों ने सहमति दी है। जब इस प्रस्ताव पर देशभर के 100 सांसदों का हस्ताक्षर हो जाएगा तो इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा। पीएम को इस बात की जानकारी दी जाएगी कि बाल दिवस नेहरु नहीं बल्कि साहिबजादों के नाम पर क्यों मनाए जाना चाहिए।
चाचा दिवस मना लें 14 नवंबर को
सिरसा ने बताया कि 1964 से पहले संयुक्त राष्ट्र की सिफारिश के अनुसार बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था। इसके बाद बदलाव करते हुए 14 नवंबर को मनाया जाने लगा। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि अगर नेहरू जी का जन्मदिन मनाना ही है तो उसे ‘चाचा दिवस’ के रुप में मनाया जाए लेकिन बाल दिवस 26 नवंबर को ही मनाना चाहिए, जिस दिन गुरु गोविंद सिंह साहिब के सबसे छोटे साहिबजादे सरहिंद में शहीद हुए थे।
बच्चों को मिलेगी प्रेरणा
साहिबजादों की शहादत दिवस के दिन बाल दिवस मनाने से बच्चों को अधिकारों के लिए लड़ना और मुसीबतों से जूझना सिखाएगा। उन्होंने आगे कहा कि श्री अकाल तखत साहिब के जत्थेदार और जत्थेदार तखत श्री दमदमा साहिब पहले ही इस प्रस्ताव की हिमायत कर चुके हैं। सिरसा ने दावा किया है कि देश में पहली बार किसी मुहिम के लिए संसद सदस्यों ने खुलकर समर्थन किया है।

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