भाजपा के अश्वमेध यज्ञ से राज्यसभा में दिग्गजों की एंट्री भी मुश्किल
Published: Jul 31, 2017 12:47:00 pm
भाजपा की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एडीए) का अश्वमेध यज्ञ जारी है। हालात यह हैं कि तमाम पार्टियों के कई दिग्गज नेताओं के सामने राज्यसभा के लिए चुने जाने की चुनौती आ खड़ी हुई है।
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ये दिग्गज संकट में
मायावती: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख ने राज्यसभा की सीट से इस्तीफा दे दिया। बसपा के पास यूपी में मात्र 19 विधायक हैं। यह संख्या इतनी कम है कि वे खुद ही राज्यसभा में भी नहीं जा सकतीं। हालांकि इसके लिए राजद प्रमुख लालू यादव सहयोग करेंगे।
सीताराम येचुरी: माकपा महासचिव येचुरी पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य हैं। पार्टी के पास अब राज्यसभा में भेजने लायक संख्या नहीं। सफाई ये दी कि पार्टी में तीसरी बार राज्यसभा में भेजने का प्रावधान नहीं। ये दिग्गज नेता अब सदन से बाहर रहेंगे।
जर्नादन द्विवेदी: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिल्ली से राज्यसभा के सांसद हैं। अगले साल जनवरी में इनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। दिल्ली में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं हैं। इसलिए इनका दिल्ली से चुना जाना मुश्किल है।
डॉ. कर्ण सिंह: पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार कर्ण सिंह दिल्ली से राज्यसभा के सदस्य हैं। इनका कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म हो रहा है। कांग्रेस के पास दिल्ली में एक भी विधायक नहीं है। संभव है कि आगे इन्हें कहीं से भी राज्यसभा में न भेजा जाए।
परवेज हाशमी: दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके कांग्रेस के खाते से दूसरी बार दिल्ली से राज्यसभा के लिए चुने गए। इनका कार्यकाल अगले साल जनवरी में समाप्त होने जा रहा है। इन्हें भी आगे मौका मिलना मुश्किल।
जया बच्चन : समाजवादी पार्टी से नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, किरणमय नंदा, मुन्नवर सलीम, दर्शन सिंह यादव कांग्रेस से सत्यव्रत चतुर्वेदी, अभिषेक मनु सिंघवी, रेणुका चौधरी, राजीव शुक्ला, प्रमोद तिवारी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से डीपी त्रिपाठी, जदयू से अली अनवर का अगले साल अप्रैल में कार्यकाल खत्म हो रहा है। अब इनके सदन में पहुंचने को लेकर संशय बरकरार है।
इस साल 10 सीटों पर चुनाव
इस साल राज्यसभा की दस सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इनमें छह सीटें पश्चिम बंगाल की हैं जहां एक सीट पर कांग्रेस और पांच पर तृणमूल कांग्रेस को मिलने की उम्मीद। भाजपा को एक भी सीट नहीं। गुजरात की तीन सीटों में से दो भाजपा एक कांग्रेस के पास थी। इस बार कांग्रेस के लिए एक सीट भी पाना मुश्किल। इस साल राज्यसभा की तस्वीर बहुत हद तक बदलने वाली नहीं है। भाजपा बहुत फायदे में नहीं रहेगी। अगले साल भाजपा के पक्ष में सीटें बढ़ेगी। जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान से सीटों का इजाफा होगा।
ये है राज्यसभा की स्थिति (कुल सीटें-245)
एनडीए: भाजपा (56), जदयू (10), टीडीपी (6), शिरोमणि अकाली दल (3), शिवसेना (3), पीडीपी (2) बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, नगा पीपुल्स फ्रंट, रिपब्लिकल पार्टी (ए) , व सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट: 4 (सभी 1-1)
यूपीए: कांग्रेस 57, डीएमके 4, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 1 व केरल कांग्रेस (एम) 1
जनता परिवार: आरजेडी 3, आईएनएलडी 1 और जनता दल सेक्युलर 1
अन्य दल: सपा (18), टीएमसी (12), बीजेडी (8), एआईएडीएमके (13), सीपीआई (एम) (8), बसपा (5), एनसीपी (5), टीआरएस (3), सीपीआई (1), झारखंड मुक्ति मोर्चा (1) और वाईएसआर कांग्रेस (1)
धीरे-धीरे बहुमत की ओर एनडीए
जदयू के साथ एनडीए का आंकड़ा 84 तक पहुंच चुका है। मध्य प्रदेश में अनिल माधव की मृत्यु से खाली हुई सीट व गुजरात में कम से कम एक सीट भाजपा को मिलना तय है। वहीं एआईएडीएमके, बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस व आईएनएलडी अक्सर सरकार के साथ रहते हैं। इनके सांसदों की संख्या 26 है। वहीं 8 में 4 नामित सदस्यों के साथ एनडीए 117 के आंकड़े तक पहुंच चुकी है।