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तनातनी के बावजूद कैबिनेट समितियों में शिवसेना बरकरार

Published: Sep 12, 2017 04:53:00 pm

Submitted by:

Pradeep kumar

कैबिनेट में हालिया फेरबदल से आहत सेना ने कहा था- एनडीए की हो चुकी मौत, नए मंत्रियों में से हरदीप पुरी को मिली जगह, गोयल-सीतारमण की अहमियत बढ़ी
 

BJP Shiv sena
मुकेश केजरीवाल @ नई दिल्ली
पिछले दिनों अपने मंत्रि परिषद में भारी फेर-बदल कर चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब बेहद अहम कैबिनेट समितियों को भी नए सिरे से गठित कर लिया है। एनडीए गठबंधन की मौत का एलान कर चुकी सहयोगी पार्टी शिव सेना की जगह तमाम तना-तनी के बावजूद अब भी बरकरार है। इसी तरह जिन नौ नए राज्य मंत्रियों को उन्होंने अपनी सरकार में लिया है, उनमें से हरदीप सिंह पुरी को इसमें जगह मिली है।
सबसे अहम सुरक्षा संबंधी मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) में पांच सदस्यों में दो महिलाएं हो गई हैं। रक्षा मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण को पहली बार जगह मिली है, वहीं विदेश मंत्री के तौर पर सुषमा स्वराज पहले से ही इसमें मौजूद हैं। गृह मंत्री के तौर पर जहां राजनाथ सिंह का नाम सभी प्रमुख समितियों में दूसरी जगह पर रखा गया है, वहीं जिन समितियों में निर्मला सीतारमण शामिल की गई हैं, उन सभी में उनका नाम सबसे नीच दर्ज किया गया है। कैबिनेट दर्जा पाने के बाद पीयूष गोयल की अहमियत भी इसमें बढ़ गई है। लेकिन सरकार गठन के समय इसमें शामिल रहीं स्मृति ईरानी को सूचना और प्रसारण मंत्री बनने के बावजूद इनमें से किसी में जगह नहीं दी गई है। उप राष्ट्रपति बनने की वजह से वेंकैया नायडू पहले ही इन समितियों से अलग हो चुके हैं।
शिव सेना राजनीतिक मामलों की समिति में 
मोदी सरकार में सिर्फ एक मंत्री पद मिलने की वजह से पहले से ही खार खाए बैठी शिव सेना ने ताजा फेरबदल के बाद जम कर भड़ास निकाली थी। उसे उ मीद थी कि उसके कोटे से कुछ और को जगह मिलेगी, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें शपथ ग्रहण का न्यौता तक नहीं गया। लेकिन पार्टी के अकेले मंत्री अनंत गीते अब भी सरकार की राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति में शामिल हैं। इसी तरह टीडीपी केे अशोक गजपति राजू, लोजपा के रामविलास पासवान, अकाली दल बादल की हरशिमरत कौर बादल भी इस समिति में मौजूद हैं।
पीपी चौधरी बने रहे
उधर, राजस्थान से पहली बार सांसद बने पीपी चौधरी को इस बार भी संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। इसमें संसदीय कार्य मंत्रालय के मंत्रियों के अलावा बेहद अनुभवी राजनेताओं को ही जगह दी जाती है।
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