बीजेपी ने इस महीने में 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम करने की तैयारी की है।
दरअसल विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस दोनों ही हस्तियों की ख्याति राष्ट्र के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही है। ऐसे में बीजेपी की रणनीति बंगाल को स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ले जाने की रहेगी। इससे वो विदेशों में बैठे बंगालियों के सहारे भी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करेगी।
ममता के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस क्षेत्रीय अस्मिता और बंगाल की धरोहर को लेकर आगे बढ़ रही है। टीएमसी स्थानीय मुद्दों को लेकर अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की क्षेत्रीय राजनीति की भूमिका को सीमित करने में बीजेपी की अंतरराष्ट्रीय रणनीति कारगर साबित हुई तो ममता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बीते वर्ष दिसंबर का महीना बंगाल की राजनीति में काफी उथल पुथल वाला रहा। बीजेपी नेताओं पर जहां हमले हुए तो वहीं टीएमसी दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी समेत कई विधायकों ने पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। नड्डा और शाह ने लगातार दो दिन के दौरे किए और पार्टी नेताओं के साथ अहम बैठकें कीं।