राजनीति

राष्ट्रवाद पर कभी आंच नहीं आने देगी भाजपा : शाह

अमित शाह ने कहा, ‘राष्ट्रवाद हमारी पहचान है और इसी विचारधारा पर पार्टी की स्थापना हुई थी

Apr 06, 2016 / 06:23 pm

जमील खान

Amit Shah

नई दिल्ली। राष्ट्रवाद को लेकर चल रही बहस के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को जोर देकर कहा कि राष्ट्रवाद ही पार्टी की असली पहचान है और इस पर कभी आंच नहीं आने दी जाएगी। शाह ने भाजपा के 36वें स्थापना दिवस पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह बात कहीं। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रवाद हमारी पहचान है और इसी विचारधारा पर पार्टी की स्थापना हुई थी। हमारी तीन पीढिय़ों ने राष्ट्रवाद की विचारधारा को आगे बढ़ाया है और अब यह इस पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि इस सोच को आगे लेकर जाए। राष्ट्रवाद पर कभी आंच नहीं आनी चाहिए।’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, केंद्र के अलावा 13 राज्यों में पार्टी या सहयोगी दलों की सरकार है। पार्टी इस समय सफलता के शिखर पर है, लेकिन कार्यकर्ताओं को इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए और पार्टी को ऐसे मुकाम पर ले जाना चाहिए जहां
अगले 25 साल तक पंचायत से लेकर संसद तक भाजपा का ही परचम लहराए। हमें ऐसी मजबूत इमारत बनानी है जिसके सामने बाकी सभी इमारतें छोटी पड़ जाए। शाह ने कहा कि भाजपा और उससे पूर्व जनसंघ ने निहित स्वार्थों के लिए नहीं बल्कि हमेशा राष्ट्र के लिए आंदोलन किया। गोहत्या, कच्छ का सत्याग्रह, हैदराबाद आंदोलन, गोवा मुक्ति आंदोलन, चेतना यात्रा और राममंदिर आंदोलन इसी राष्ट्रवाद से प्रेरित थे। हमारी प्राथमिकता विचारधारा है और इसी सोच के साथ भाजपा की स्थापना की गई थी।

पीएम मोदी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता

उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता छोड़ सकती है, लेकिन सिद्धांतों को कभी नहीं छोड़ सकती। भाजपा चतुराई की राजनीति में नहीं बल्कि चरित्र की राजनीति में विश्वास करती है और सत्ता उसके लिए साध्य नहीं है बल्कि साधन है। भाजपा निश्चित लक्ष्यों के साथ राजनीति में आई है और कभी भी इन लक्ष्यों से भटकी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बताते हुए शाह ने कहा कि उनके नेतृत्व में सरकार गांव, गरीब, किसान, बेरोजगार, दलित और पिछड़ों को केंद्र में रखकर काम कर रही है। यह कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वह मोदी सरकार की योजनाओं और नीतियों को आम जन तक पहुंचाएं।

इसलिए हुआ जनसंघ का जन्म
इस मौके पर शाह ने कांग्रेस को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उसकी सरकारों ने देश की तासीर के अनुरूप कार्यक्रम नहीं बनाएं। कांग्रेस के नेतृत्व में कई विचारधाराओं के लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था और आजादी के बाद
पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में सर्वदलीय सरकार बनी थी। लेकिन, इस सरकार ने ऐसे फैसले लेने शुरू किए जो हमारी प्राचीन संस्कृति के अनुरूप नहीं थे और लगा कि देश अपनी नींव से भटक रहा है। इसी सोच के कारण जनसंघ का
जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि जनसंघ किसी राजनीतिक आंदोलन से नहीं उपजा था और न ही इसका जन्म सत्ता प्राप्ति के लिए हुआ था। इसका गठन सोच समझकर देश में वैकल्पिक विचारधारा देने के लिए किया गया था। लोकतंत्र को बचाने
के लिए 1977 में जनसंघ का बलिदान दिया गया और फिर 1980 में भाजपा का गठन हुआ। जनसंघ का सफर 11 लोगों से शुरू हुआ था और आज भाजपा की सदस्य संख्या 11 करोड़ पहुंच गई है।

आलसी हो जाते हैं कार्यकर्ता
शाह ने कहा कि जब पार्टी सत्ता में आती है तो कार्यकर्ताओं में आलस आ जाता है, लेकिन उन्हें अधिक परिश्रम करने की जरूरत है। उन्हें सत्ता के साधन का इस्तेमाल सरकार की नीतियों और योजनाओं को गरीबों के बीच ले जाना चाहिए। संगठन का दायित्व सरकार का काम जनता तक पहुंचाना और जनता की परेशानी सरकार तक ले जाना होता है। पिछले दो सालों में कार्यकर्ताओं ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया है।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हर बूथ इकाई पर साल में कम से कम छह कार्यक्रम करने की जरूरत है क्योंकि बूथ इकाई को मजबूत किए बिना पार्टी मजबूत नहीं हो सकती है। पार्टी के 11 करोड़ सदस्यों को कार्यकर्ता बनाने की जरूरत है। भाजपा कार्यकर्ताओं को ऐसा पुष्पगुच्छ बनने की जरूरत है जिसकी खुशबू मीलों तक महसूस की जा सके।

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