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भारत की पाक को दो टूक-सच को बाहर आने से नहीं रोक सकते

Published: Oct 06, 2016 11:39:00 pm

उन्होंने कहा कि तनाव को कम करने के लिए विश्व समुदाय को पाकिस्तान को
बाध्य करना चाहिए कि वह आतंकवाद को प्रायोजित करने की नीति त्याग दे

Vikas Swaroop

Vikas Swaroop

नई दिल्ली। भारत ने दक्षिण एशिया में तनाव बढऩे की जड़ पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति को जिम्मेदार ठहराते हुए गुरुवार को विश्व समुदाय से आग्रह किया कि वह पाकिस्तान को यह नीति छोडऩे के लिए बाध्य करे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने नियमित ब्रीफ्रिंग में दक्षिण एशिया में तनाव के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि यह सही है कि क्षेत्र में तनाव है, पर तनाव के मूल कारण भी होते हैं और वह सब जानते हैं।

उन्होंने कहा कि तनाव को कम करने के लिए विश्व समुदाय को पाकिस्तान को बाध्य करना चाहिए कि वह आतंकवाद को प्रायोजित करने की नीति त्याग दे। प्रवक्ता से पूछा गया था कि क्या विश्व की प्रमुख शक्तियां और यूरोपीय संघ दक्षिण एशिया में तनाव घटाने के लिए कोई मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 29 सितंबर को हुई आतंकवाद निरोधक कार्रवाई नियंत्रण रेखा पर आतंककारियों की ओर से पेश आने वाले खतरे को रोकने के लिए की गई थी। भारतीय सेना को लक्षित सटीकता से कार्रवाई करने का जिम्मा सौंपा गया था। अपेक्षित परिणाम प्राप्त हुआ और उसका अपेक्षित संदेश भी लक्षित समूहों को पहुंच गया है।

लक्षित सैन्य कार्रवाई के साक्ष्य जारी करने की मांग के बारे में स्वरूप ने कहा कि सरकार जो भी करेगी या नहीं करेगी, वह राष्ट्रीय सुरक्षा को केन्द्र में रखकर करेगी और इसी आधार पर आगे भी किया जाएगा। सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पाकिस्तान के खंडन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के खिलाफ प्रायोजित आतंकवाद का खंडन करना पाकिस्तान की आदत है। ओसामा बिन लादेन और मुल्ला मंसूर के बारे में भी वह हमेशा इसी प्रकार का खंडन करता रहा था, लेकिन सच्चाई सबको पता है।

पीओके से आतंकी घुसपैठ की फिराक में
स्वरूप ने कहा कि सुरक्षा बलों ने नियंत्रण रेखा पर आतंककारियों द्वारा घुसपैठ कराने की कम से कम 20 कोशिशें नाकाम कीं हैं और दर्जनों आतंककारियों को मार गिराया है। आठ जुलाई से बाद से ही जम्मू कश्मीर में सीमापार से समर्थित करीब एक दर्जन बड़े आतंकी हमले हुए हैं जिनमें आज (गुरुवार) हुआ हण्डवारा का हमला शामिल है। उन्होंने कहा कि पकड़े गए आतंककारियों ने हमें बताया है कि बड़ी संख्या में आतंकी प्रशिक्षित किए गए हैं और वे पाकिस्तान एवं उसके कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकी शिविरों से घुसपैठ के लिए तैयार हैं।

पाकिस्तान अपनी धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए ना होने दे
उन्होंने 29 सितंबर को सैन्य संचालन महानिदेशक के बयान को दोहराया कि भारत का इरादा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखना है, लेकिन हम निश्चित रूप से नियंत्रण रेखा पर खुुले आम घूमने और अपने नागरिकों पर हमला नहीं करने देंगे। पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक मोर्चे पर जारी प्रयासों के बारे में पूछे जाने पर स्वरूप ने कहा कि भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को नौ अगस्त तथा बाद में 21 और 27 अगस्त को विदेश मंत्रालय में बुलाकर साफ तौर पर बताया गया था कि वह पाकिस्तान से अपेक्षा करते हैं कि वह 2004 में दिए गए आश्वासन को पूरा करें और उच्चतम स्तर पर भी बताया गया था कि पाकिस्तान अपनी धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश के विरुद्ध आतंकवाद फैलाने के लिए ना होने दे।

उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान पर सीमापार आतंकवाद को समर्थन बंद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) में सभी ने परिणाम देखा है। रूस और अमरीका जैसे बड़े देशों के बयानों को भी देखा जाए तो उससे आगे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। लाहौर में कट्टरपंथी और मजहबी नेताओं के संगठन दिफा ए पाकिस्तान की आज हुई बैठक से जुड़े एक सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि यह संगठन हाफिज सईद जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंककारियों से संबंधित है। भारत ने हमेशा ने ऐसे आतंककारियों के पाकिस्तान में खुले आम घूमने और भारत विरोधी गतिविधियां चलाने को लेकर चिंंताएं जाहिर कीं हैं। पाकिस्तान सरकार को अपने आश्वासनों को पूरा करना चाहिए कि अपनी जमीन का ऐसी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में चीन द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अ•ाहर पर प्रतिबंध के मामले में वीटो लगाए जाने और मामले को तीन माह तक बढ़ाए जाने से जुड़े एक सवाल पर प्रतिक्रिया में स्वरूप ने कहा कि इस साल मार्च में भारत का कहना था कि समिति ने पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को निषिद्ध किया है, लेकिन उसके मुख्य सरगना, प्रायोजक और नायक के बारे में कुछ नहीं किया जो निरंतर आतंकी गतिविधियां चला रहा है।

भेद करना हो सकता है नुकसानदेह
उन्होंने कहा कि समिति ने भारत के इस आशय के प्रस्ताव को छह माह तक लंबित रखा और अब तीन माह और बढ़ा दिया। लेकिन इससे यह स्थिति तो नहीं बदल जाएगी कि समिति ने एक आतंकी संगठन को प्रतिबंधित कर रखा है और संगठन के सबसे खतरनाक आतंकी को प्रतिबंधित करने में छह माह बाद भी विफल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने समिति से कहा है कि मसूद अजहर को 1267 समिति के प्रतिबंध के दायरे में लाने से विश्व के सभी आतंकी समूहों को एक कड़ा संदेश जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद को लेकर भेदभाव या पक्षपात की रवैया नहीं अपना सकता है। अच्छे या बुरे आतंकवाद के बीच भेद करना नुकसानदेह हो सकता है।

उन्होंने कहा कि यदि भारत के रुख पर समिति कार्रवाई नहीं करती तो इससे दुनिया में एक खतरनाक संकेत जाएगा। यह बात चीन को भी समझाई गई है। ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी पर बांध बनाने संबंधी रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर स्वरूप ने कहा कि भारत एवं चीन के बीच ब्रह्मपुत्र और सतलज सहित सीमापार नदियों को लेकर एक द्विपक्षीय समझौता है। एक विशेषज्ञ प्रणाली भी काम करती है। बाढ़ के मौसम में चीन हमें आंकड़े भी मुहैया कराता है। चीन के साथ विभिन्न अवसरों पर ये मुद्दे उठाए गए हैं और चीन ने भी बताया है कि वह ब्रह्मपुत्र पर रन-ऑफ-दि-रिवर जलविद्युत परियोजनायें बना रहा है जिनमें जलप्रवाह की दिशा कतई प्रभावित नहीं होगी। आगामी बैठक में इस मुद्दे पर बात की जाएगी।

भावनाओं का रखा जाता है ख्याल
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा मार्शल द्वीप समूह द्वारा भारत के विरुद्ध परमाणु निरस्त्रीकरण के आवेदन को खारिज किए जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि इससे परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर भारत के जिम्मेदाराना और सैद्धांतिक पक्ष की पुष्टि हुई है। भारत ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून और विश्व समुदाय की भावनाओं का पूरा ख्याल रखता है। यह मुद्दा कोई दो देशों का मामला नहीं बल्कि एक बहुपक्षीय अंतरसरकारी विचार-विमर्श की प्रक्रिया का मामला है। एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति होने के नाते भारत परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर एक निष्पक्ष, भेदभाव रहित एवं प्रामाणिक प्रक्रिया का स्वागत करता है।
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