स्वामी ने कहा कि यह फैसला सरकार के लिए करारा झटका है, क्योंकि वर्मा को कार्यमुक्त करने का निर्णय सरकार का था। सरकार को इसमें विहित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था। हालांकि स्वामी ने प्रधानमंत्री की ईमानदारी को संदेह से परे बताया। उन्होंने कहा- ‘मेरा प्रधानमंत्री के साथ पत्रों के माध्यम से संवाद होता है। उसके आधार पर मेरा पूरा विश्वास है कि भ्रष्टाचार के मामले में वह बिलकुल साफ हैं।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि प्रधानमंत्री को उपलब्ध कराए गए तथ्यों की इतनी गहराई में जाने की, उनसे अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इसलिए उन्हें उपलब्ध कराई गई जानकारी और तथ्य गलत साबित होने पर इन्हें मुहैया कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
राकांपा के राज्यसभा सदस्य माजिद मेनन ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से पूरे देश में यह संदेश गया है कि सरकार किस तरह से सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। मेनन ने कहा कि अदालत ने आलोक वर्मा से रात के दो बजे कार्यभार वापस लेने के सरकार के निर्णय को पलट दिया है। वर्मा का वकार कायम हो गया, किंतु केलव दुख की बात यह है कि उनके पास समय बहुत कम है। वरना बहुत सारी सच्चाइयां बाहर निकल कर आतीं।