यह था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
एससी/एसटी एक्ट पर एक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में सियासी घमासान पैदा हो गया है। एक ओर जहां मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बीजेपी को दलित विरोधी बताया है, वहीं केन्द्र ने पलटवार करते हुए दलितों के साथ खड़ा रहने की बात कही है। यही कारण है कि केन्द्र की ओर से कोर्ट के फैसले के विरूद्ध पुनर्विचार याचिका दाखिल किया गया है। बता दें कि एससी/एसटी अत्याचार निरोधक कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तुरंत मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद देश भर दलित समर्थित कई संगठन आंदोलन पर उतर आए थे।
वर्षों से उत्पीड़न झेलते आ रहे ये लोग
केन्द्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट के फैसले से कानून कमजोर हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि दलित सैकड़ों वर्षों से उत्पीड़न झेलते आ रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पुलिस गलत फायदा उठा सकती है। जिससे इस वर्ग को न्याय मिलने में बड़ी बाधा खड़ी हो सकती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र के पुनर्विचार याचिका को विचार के स्वीकार कर फिलहाल लंबित रख लिया है। केन्द्र के जवाब में कोर्ट ने कहा कि फैसले से कानून कमजोर नहीं हुआ, बल्कि इससे निर्दोषों को सुरक्षा प्रदान की गई है। इस फैसले मे कोर्ट की मंशा केवल निर्दोष का उत्पीड़न होने से बचाना है।