मोदी की योजना नीतीश ने की खारिज, बिहार में लॉन्च की नई किसान बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को खारिज करते हुए नीतीश कुमार ने बिहार के किसानों के लिए एक नई बीमा योजना लॉन्च की है।

नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकबार फिर केंद्र की मोदी सरकार को बड़ा झटका और विरोधियों को बोलने का मौका दिया है। एनडीए की सहयोगी जेडी-यू पहले से ही लोकसभा सीटों को लेकर खींचतान कर रही है। इसी बीच केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी फसल बीमा योजना को खारिज करते हुए नीतीश कुमार एक नई योजना लेकर आए हैं। जिसमें किसानों को बगैर किस्त दिए मुआवजा मिल सकेगा। इस योजना को केंद्र से बेहतर बताने की कोशिश की जा रही है।
केंद्र से अच्छी है बिहार सरकार की योजना!
बिहार सरकार के मुताबिक नई योजना का नाम 'बिहार राज्य फसल सहायता योजना' है। इसका क्षेत्र 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' से बड़ा है। इसका लाभ उन किसानों को भी मिलेगा जिन्होंने राष्ट्रीय या सहकारी बैंकों अथवा किसी वित्तीय संस्थानों से कर्ज लिया है। वहीं दूसरी ओर केंद्र की योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं किसानों को मिलता है, जो किसी सरकारी या सहकारी बैंक से लोन लिए रहते हैं। बिहार के कृषिमंत्री प्रेम कुमार ने राज्य सरकार की इस योजना का बचाव किया है। प्रेम कुमार गठबंधन सरकार में बीजेपी कोटे से मंत्री हैं।
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में क्या?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य और केंद्र दोनों की मिलकर प्रीमियम लागत का 49 फीसदी भुगतान देना पड़ता है। जबकि बचे हुए दो फीसदी प्रीमियम का भुगतान किसान को करना होता है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार की तय करती है कि राज्य सरकार बीमा कंपनियों को कितनी राशि का भुगतान करेंगे।
बगैर प्रीमियम भुगतान मिलेगा मुआवजा
बिहार सहकारी विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि केंद्र की योजना सिर्फ लोन लेने वाले किसानों को लाभ देती है, जबकि राज्य सरकार की योजना सभी प्रकार के किसानों के लिए है। प्रसाद ने बताया कि कोई भी किसान जो इस योजना के तहत पंजीकृत है उन्हें किसी तरह के प्रीमियम का भुगतान नहीं करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि पहले की योजना बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाली है जबकि राज्य सरकार की योना किसानों के हित वाली है।
'495 करोड़ भुगतान लेकिन मुआवजा 221 करोड़ का'
अतुल प्रसाद ने बताया कि 2016 में बिहार सरकार ने खरीफ की फसल पर अपने हिस्से का 495 करोड़ रूपए प्रीमीयम का भुगतान किया था, जबकि जिन किसानों के फसल की क्षति हुई उनको सिर्फ 221 करोड़ रूपए ही मुआवजे के तौर पर मिला।
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