यूपीए सरकार में कभी इतना महंगा नहीं हुआ था पेट्रोल
कहना गलत नहीं होगा कि यूपीए को सत्ता से बाहर करने की एक वजह कमरतोड़ महंगाई भी थी। खासकर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को मुद्दा बनाकर भाजपा ने कांग्रेस को संसद से लेकर सड़क तक घेरा था। ठीक उसी तरह आज भाजपा भी महंगाई के मुद्दे पर चारों खाने चित हो गई है, क्योंकि मोदी सरकार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें यूपीए सरकार के समय की कीमतों को भी पार कर गई हैं। यूपीए शासन में जब पेट्रोल की कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा था, उस समय कीमत 67 रुपए लीटर थी और आज राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 80 रुपए लीटर को पार कर गया है।
2019 के चुनाव के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है विपक्ष का प्रदर्शन
बीजेपी की सरकार में इस समय ठीक वैसी ही लहर या फिर कहें माहौल बन चुका है, जैसा की कांग्रेस के समय था और चुनावों में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। तो क्या ऐसा समझा जाए कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। उस समय कांग्रेस के हाथों से सत्ता जाने की सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार और महंगाई थी। भ्रष्टाचार के नाम पर मोदी सरकार के माथे पर राफेल डील का कलंक लगा हुआ है तो वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम इस समय सरकार चारों खाने चित हो गई है।
समय रहते नहीं उठाए ठोस कदम तो भुगतना होगा अंजाम
अगर समय रहते केंद्र सरकार ने महंगाई पर और खासकर पेट्रोल-डीजल की कीमतों का काबू करने के लिए कुछ नहीं किया तो आने वाले चुनावों में भाजपा को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि इस समय ना सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि सभी विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ खड़े हैं।